आमतौर पर किसी अदालत में जाने पर वकीलों और जजों को खास ड्रेस कोड के तहत कपड़े पहनने होते हैं। कई बार ऐसे मामले आए हैं जब अधिकारियों तक को उनके कपड़ों या वेशभूषा के लिए फटकार लगी है। अब ऐसे ही एक मामले में एक वकील को 6 महीने की सजा सुना दी गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वकील अशोक पांडे को सजा सुनाई है और 2 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अशोक पांडे को कोर्ट में कमीज के बटन खोलकर आने और जज को गुंडा कहने का आरोप है।
इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 10 अप्रैल को अपना फैसला सुनाया है और वकील अशोक पांडे को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना है। इसी के साथ कोर्ट ने अशोक पांडे को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा है कि उनके व्यवहार के कारण उनकी वकालत पर तीन साल तक रोक क्यों न लगाई जाए?
हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए अशोक पांडे को चार हफ्ते के अंदर लखनऊ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने सरेंडर करने के लिए कहा। साथ ही यह भी कहा है कि यदि वह जुर्माने की रकम अगले एक महीने के भीतर नहीं चुकाते हैं तो उनकी सजा एक महीने और बढ़ा दी जाएगी। हाई कोर्ट का यह फैसला 2021 में दायर एक केस में आया है।
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क्या है पूरा मामला?
यह मामला साल 2018 का है।18 अगस्त 2021 को अशोक पांडे जस्टिस ऋतुराज अवस्थी और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच के सामने पेश हुए थे। उस वक्त वकील अशोक पांडे ने वकीलों के ड्रेसकोड के अनुसार कपड़े नहीं पहने थे। वह बगैर गाउन कोर्ट में पहुंचे थे और उनकी कमीज के खुले बटन भी खुले थे। हाई कोर्ट ने कहा कि तब अशोक पांडे गलत पहनावे के साथ अदालत में आए थे और उनकी शर्ट के बटन खुले हुए थे। बेंच ने उन्हें उचित कपड़े पहनने की सलाह दी थी। कोर्ट की इस सलाह पर अशोक पांडे ने इनकार तो किया ही, साथ में कोर्ट से सही पहनावे का मतलब भी पूछ लिया। इस मामले पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कोर्ट की अवमानना का केस चलाया।
कोर्ट ने क्या कहा?
10 अप्रैल को जस्टिस जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस बी आर सिंह की बेंच के सामने जब मामला सुनवाई के लिए पहुंचा तो कोर्ट ने पाया कि अशोक पांडे की तरफ से अवमानना के आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया गया है। इस पर बेंच ने कहा, 'अशोक पांडे की तरफ से न कोई हलफनामा दाखिल किया गया है और न ही कोई सफाई दी गई है।
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कोर्ट ने आगे कहा, 'बार-बार ऐसे बर्ताव से पता चलता है कि वह न सिर्फ गुमराह हैं, बल्कि जानबूझकर ऐसे पैटर्न को अपना रहे हैं जिसके जरिए इस अदालत के अधिकार को कमजोर किया जाए।' कोर्ट ने मामले में अशोक पांडे से सहयोग न मिलने और आरोपों पर चुप्पी से यह निष्कर्ष निकाला कि उनके पास अपने बचाव में कहने के लिए कुछ नहीं है और वह अड़ियल बने हुए हैं। कोर्ट ने कहा कि उनमें सुधार के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं।
पहले भी कोर्ट से खा चुके हैं फटकार
यह पहला मामला नहीं है जब अशोक पांडे पर इस तरह के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी कोर्ट पांडे के आचरण पर सवाल उठा चुका है। 2023 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज की गई एक याचिका पर कोर्ट ने उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना अशोक पांडे ने जमा नहीं किया था। जिसके बाद कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी करने की बात कही थी।
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इसके अलावा, अशोक पांडे ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती दी थी। इस मामले में भी कोर्ट ने उन पर जुर्माना लगाया, जिसका उन्होंने भुगतान नहीं किया था। इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के कहने पर भी वह कोर्ट से बाहर नहीं निकले। जिसके बाद जस्टिस गवई ने भड़कते हुए कहा, 'अब आप जाते हैं या मैं कोर्ट मार्शल को बुलाऊं?' इन मामलों के अलावा भी अशोक पांडे कई बार कोर्ट के साथ अपमानजनक व्यवहार कर चुके हैं।
वकीलों के ड्रेस कोड के क्या नियम हैं?
भारत में वकीलों के ड्रेस कोड को लेकर अधिवक्ता अधिनियम 1961 में बार काउंसिल के नियमों का पालन करने को कहा गया है। बार काउंसिल का नियम कहता है कि एक वकील के लिए सफेद शर्ट और सफेद बैंड के साथ काला कोट पहनना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में पेश होते समय गाउन पहनना अनिवार्य है। महिला वकील चाहें तो पुरुषों की वेशभूषा अपना सकती हैं या फिर वे सफेद कॉलर और सफेद बैंड्स के साथ काले रंग की फुल स्लीव जैकेट या ब्लाउज, काला कोट और गाउन पहन सकती हैं। वे इसके साथ सफेद रंग की साड़ी, स्कर्ट या सलवार-कुर्ता पहन सकती हैं।