उत्तर प्रदेश के मथुरा में शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर अगल-बगल है। इसको लेकर कई तरह के विवाद अदालतों में पहुंचते ही रहते हैं। ऐसी ही एक याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की गई थी। याचिका दायर करके मांग की गई थी कि मथुरा की शाही ईदगाह को 'विवादित ढांचा' कहा जाना चाहिए। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया गया है। रोचक बात है कि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद में भी इसी तरह से हिंदू पक्ष का मानना था कि वहां कोई मस्जिद नहीं है और वह एक विवादित ढांचा है। मथुरा के मामले में भी हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह को एक मंदिर के ऊपर बनाया गया है।
मूल वाद के साथ अन्य संबंधित मामलों में आगे की सुनवाई के दौरान शाही ईदगाह की जगह 'विवादित ढांचा' शब्द के इस्तेमाल के लिए संबंधित स्टेनोग्राफर को निर्देश जारी करने का अनुरोध करते हुए एक आवेदन ए-44 दाखिल किया गया था। इस आवेदन के पक्ष में वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने एफिडेविट दाखिल किया गया था। वहीं दूसरी ओर, प्रतिवादियों की तरफ से लिखित आपत्ति दाखिल की गई थी। ऐसे में हाई कोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने शुक्रवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े मूल मुकदमों की सुनवाई करते हुए इस याचिका को खारिज कर दिया।
यह भी पढ़ें- 'एक जंग 2 दुश्मन, चीन था पाक के साथ,' ऑपरेशन सिंदूर पर उप सेना प्रमुख
क्या है विवाद?
दरअसल, हिंदू पक्ष ने शाही ईदगाह ढांचा हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और वहां मंदिर बहाल करने के लिए 18 मुकदमे दाखिल किए हैं। इससे पहले 1 अगस्त, 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्षों की ओर से दायर इन मुकदमों की सुनवाई योग्य मानने को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी। तब अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि ये मुकदमे समय सीमा, वक्फ अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से बाधित नहीं हैं। बता दें कि पूजा स्थल अधिनियम 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी धार्मिक ढांचे की स्थिति को परिवर्तित करने से रोकता है।
यह भी पढ़ें- 'बूढ़ी गाड़ियों' पर बैन से किसे नफा, किसे नुकसान? सारा गणित समझिए
कोर्ट ने 23 अक्टूबर, 2024 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में 11 जनवरी, 2024 के आदेश को वापस लेने की मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज कर दी थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 11 जनवरी, 2024 के अपने निर्णय में हिंदू पक्षों की ओर से दायर सभी मुकदमों को समेकित कर दिया था। यह विवाद मथुरा में मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म स्थान पर एक मंदिर को कथित तौर पर ध्वस्त करने के बाद बनाया गया है।