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अतिक्रमण से उजड़ने तक, तैमूर नगर के टूटते घरों की पूरी कहानी

तैमूर नगर नाले के पास बने घरों को तोड़ा जा रहा है, अतिक्रमण हटाया जा रहा है। 100 से ज्यादा मकानों को जमींदोज कर दिया गया है। स्थानीय नागरिक बेहद गुस्से में हैं। पढ़ें रिपोर्ट।

Taimoor Nagar

तैमूर नगर में अवैध घरों को ध्वस्त किया जा रहा है। (Photo Credit: PTI)

दिल्ली के तैमूरनगर नाले के पास दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) अवैध मकानों के खिलाफ ध्वस्तीकरण अभियान चला रहा है। डीडीए ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर नाले के किनारे बने करीब 100 अवैध ढांचों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की। सोमवार सुबह 9 बजे से शुरू इस ध्वस्तीकरण अभियान में 8 से ज्यादा जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन घरों की वजह से नाले का प्रवाह प्रभावित हो रहा था। ये सभी घर अवैध तौर पर बनाए गए थे, जिन्हें हटाने का आदेश अदालत की तरफ से आया था।

डीडीए के अधिकारियों का कहना है कि 100 से ज्यादा घरों को तोड़ दिया गया है। जहां ध्वस्तीकरण अभियान चल रहा है, वहां बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। अगले 2 दिनों में नाला अतिक्रण मुक्त हो जाएगा। नाले ढंग से बहे, कचरा हट जाए इसलिए इसे अतिक्रमण मुक्त करने की कोशिश डीडीए के अधिकारी कर रहे हैं। डीडीए के एक्शन की वजह से अब तक 100 से ज्यादा घर तोड़े जा चुके हैं, हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
 

जल भराव की वजह से तोड़े जा रहे हैं घर
नाले के पास हुए अवैध निर्माण की वजह से बारिश के दिनों में जलभराव की समस्या बेहद आम थी। नाले का पानी, सड़क पर आ जाता था। यह नाला दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों जैसे न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, महारानी बाग और जंगपुरा से भी गुजरता है। नाले की चौड़ाई 20 फीट होनी चाहिए लेकिन अतिक्रमण की वजह से यह 4 से 5 फीट तक सिकुड़ गया था। लोगों ने नाले में घर बना लिया था, जिससे पानी निकलने की राह ही नहीं रह गई थी। नाले के प्रवाह को दुरुस्त रखने के लिए जरूरी था कि घरों को हटाया जाए। डीडीए के अधिकारियों ने यह तर्क दिया है।

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क्या बिना नोटिस के तोड़े जा रहे हैं घर?
डीडीए के अधिकारियों का कहना है कि यहां अवैध रूप से रह रहे लोगों को कई बार नोटिस दिया गया है। लोगों से घर खाली करने के लिए कहा गया है। लोगों ने जानबूझकर नोटिस का जवाब नहीं दिया, जगह छोड़कर नहीं हटे। ध्वस्तीकरण अभियान खत्म होने में 2 से 3 दिन और लग सकते हैं।  

दिल्ली हाई कोर्ट के तर्क क्या हैं?
दिल्ली में जलभराव गंभीर समस्या है। हाई कोर्ट ने इस केस में स्वत: संज्ञान लिया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने 5 मई से यहां ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि कुछ माफिया तत्व पैसे लेकर इस इलाके में अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं। अब इन्हीं ढाचों को गिराया जा रहा है।

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पुलिस की तैयारियां क्या हैं?
अवैध घरों को जेसीबी मशीनों की मदद से जमींदोज किया जा रहा है। इलाके में कोई हिंसा न भड़कने पाए, इसे रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। 150 से ज्यादा जवानों को सोमवार को ही तैनात किया गया। CRPF, रैपिड एक्शन फोर्स के जवान भी तैनात हैं। लोगों को कोर्ट के आदेश के बारे में पता था। किसी तरह का हंगामा न होने पाए, इसी वजह से जवानों को प्रशासन ने तैनात किया था।

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झुग्गियों में रह रहे लोग क्या कह रहे हैं? 
लोगों में दिल्ली हाई कोर्ट और डीडीए के खिलाफ आक्रोश है। उनका कहना है कि बिना नोटिस दिए, घरों से सामान निकालने तक का मौका नहीं दिया गया। कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कोर्ट के आदेश के बाद अपने घरों को आंशिक तौर पर तोड़ दिया था। दरवाजे और दूसरे सामानों को निकाल लिया था। कई परिवार ऐसे हैं, जो 90 के दशक से यहीं रह रहे हैं, उन्हें भी उजाड़ा गया लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई। कुछ लोगों ने पुनर्वास के लिए पैसे जुटाए थे लेकिन उन्हें लाभ ही नहीं मिला। कई परिवार ऐसे हैं, जो यहां रह रहे थे और स्थाई घर समझ रहे थे। अब उनके लिए आर्थिक चुनौती ज्यादा है। दिल्ली में रहने के लिए मकान का औसत किराया 7 से 10 हजार रुपये महीना है। इन परिवारों के लिए नया घर ढूंढना बेहद मुश्किल है। इनमें से कई ऐसे परिवार हैं, जिनकी महीने की कमाई भी इतनी नहीं है। अब उनके सामने नई चुनौती घर बसाने की है। 

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