कर्नाटक कांग्रेस में चल रही सियासी उथल-पुथल के बीच सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। इस घटना को राज्य की राजनीति में एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है। राजन्ना ने आज सुबह मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को अपना इस्तीफा सौंपा। उनके इस फैसले के पीछे पिछले कुछ हफ्तों में उनके विवादित बयानों और पार्टी नेतृत्व के साथ तनाव को वजह बताया जा रहा है।
पिछले कुछ महीनों से राजन्ना अपने बयानों के कारण चर्चा में थे। उन्होंने कर्नाटक की राजनीति में 'सितंबर क्रांति' की भविष्यवाणी की थी और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को हवा दी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें ऐसे बयानों से बचने की चेतावनी दी थी, लेकिन राजन्ना ने अपनी बातें जारी रखीं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस हाईकमान के दबाव में उन्होंने यह इस्तीफा दिया है।
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छीना गया था जिला प्रभारी का पद
इससे पहले, राजन्ना से हासन जिले के प्रभारी मंत्री का पद भी छीन लिया गया था। इसे पार्टी नेतृत्व की नाराजगी का संकेत माना गया। हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान राजन्ना ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस बयान पर सवाल उठाए थे, जिसमें राहुल ने निर्वाचन आयोग पर बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के तहत महादेवपुरा जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वोटर धांधली की शिकायत की थी। राजन्ना ने कहा था, 'वोटर लिस्ट कब बनी थी? यह हमारी अपनी सरकार के समय बनी थी। क्या तब सभी ने आंखें मूंद ली थीं?'
इस बयान ने पार्टी के भीतर तनाव बढ़ा दिया। राजन्ना के बेटे और विधान परिषद सदस्य राजेंद्र ने अपने पिता का बचाव किया। उन्होंने विधान सौधा में कहा, 'लोकसभा चुनाव के समय हमारी अपनी सरकार थी। अगर कोई गलती थी, तो उसे ठीक किया जा सकता था। इसमें गलत क्या है?' राजेंद्र ने यह भी साफ किया कि उनके पिता का पार्टी से इस्तीफा देने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा, 'अगर राजन्ना को पार्टी छोड़नी होगी, तो वह खुद कहेंगे। राजन्ना कोई छोटे नेता नहीं हैं। किसी के पत्र लिखने से वह इस्तीफा क्यों देंगे?'
नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज
पार्टी सूत्रों ने इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं कहा। कई विधायकों ने बताया कि उन्हें राजन्ना के इस्तीफे की खबर मीडिया के जरिए ही पता चली। यह घटना कर्नाटक कांग्रेस में चल रही आंतरिक खींचतान को और उजागर करती है।
राजन्ना के इस्तीफे से कर्नाटक की सियासत में नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कुछ लोग इसे पार्टी के भीतर अनुशासन बनाए रखने की कोशिश मान रहे हैं, तो कुछ इसे नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों से जोड़ रहे हैं। फिलहाल, कांग्रेस हाईकमान और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। आने वाले दिनों में इस मामले पर और स्पष्टता की उम्मीद है।
बीजेपी नेता का बयान
वहीं केएन राजन्ना के इस्तीफे पर बीजेपी नेता आर अशोक ने कहा कि उन्होंने सच्चाई बताई और इसीलिए राहु गांधी (राहुल गांधी नहीं) ने राजन्ना को पद से हटाने के लिए नोटिस भेजी। मैंने पहले भी कहा था कि अक्टूबर में क्रांति होने वाली है। यह शुरू हो चुकी है और कांग्रेस डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में बंट चुकी है। कांग्रेस बहुत जल्द ही खत्म होने वाली है।
डीके शिवकुमार ने क्या कहा?
वहीं कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने राजन्ना के दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा, 'केएन राजन्ना पूरी तरह से गलत हैं। वह नहीं जानते हैं। मेरे मुख्यमंत्री और मेरे पार्टी हाई कमान इसका जवाब देंगे।'
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शिव कुमार ने आगे कहा, 'हम लोग स्कूल जाने वाले बच्चे नहीं हैं कि चुनाव आयोग जो भी कहे वह दस्तावेज देते रहें। उन्हें दस्तावेज देने की जरूरत है। हमने कुछ सूचनाएं और रिकॉर्ड्स की आधिकारिक रूप से मांग की है। मैं खुद चुनाव आयोग गया हूं।'