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मणिपुर के 100 विस्थापितों को पुलिस ने अपने गांव क्यों नहीं लौटने दिया?

मणिपुर में हिंसा के दौरान विस्थापित लोग अपने गांव वापस जा रहे थे। मामला पूरी तरह से शांत न होने की वजह से स्थानीय प्रशासन ने उन लोगों को गांव जाने से रोक दिया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर| Photo Credit: AI

मणिपुर में भड़की हिंसा शांत होने का नाम नहीं ले रही है। इम्फाल में मई 2023 में मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़की थी। हिंसा के दौरान आंतरिक रूप से विस्थापति लोगों को सुरक्षा बलों ने दोबारा गांवों में लौटने से रोक दिया है। यह जानकारी पुलिस ने दी है। बातचीत के दौरान एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अप्रिय घटना से बचाव के लिए विस्थापित लोगों को उनके गांवों की ओर लौटने से रोका गया है।

 

हिंसा के दौरान जान बचाने के लिए गांव छोड़ने वाले लोग इम्फाल ईस्ट जिले के सजीवा के पास एक राहत शिविर में रह रहे थे। हाल ही में यह लोग अपने मूल गांव वापस लौटने के लिए डोलाइथबी की ओर बढ़ रहे थे। पुलिस अधिकारी ने बताया, 'उन्हें डोलाइथबी से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर पुखाओ तेजपुर के पास रोक दिया गया ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।'

 

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क्यों लोगों को नहीं जाने दिया गया गांव?

पुलिस के मुताबिक, डोलाइथबी एक संवेदशील सीमा क्षेत्र में स्थित है। बता दें कि मई 2023 में भड़की हिंसा के दौरान इस क्षेत्र में कांगपोकपी जिले के पहाड़ी क्षेत्रों से कई बार हमले हो चुके हैं। हालांकि, पुलिस ने क्षेत्र में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया है लेकिन अभी तक स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आई है। सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए डोलाइथबी में सीआरपीएफ की महिला कंपनी को भी तैनात किया गया है।

 

 मामले को शांत कर उसका समाधान निकालने के लिए जिला प्रशासन और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वहां के स्थानीय नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल स्थिति शांतिपूर्ण और नियंत्रण में है। वरिष्ठ अधिकारी कानून-व्यवस्था की स्थिति पर लगातार निगरानी रखे हुए हैं।

 

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क्या है पूरा मामला?

मणिपुर में मई 2023 में मैतेयी और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा भड़की थी। हिंसा इतनी बढ़ गई कि केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह से इस्तीफा ले लिया। उसके बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। हालांकि, राज्य विधानसभा की अवधि 2027 तक है लेकिन उसे निलंबित रखा गया है। भड़की जातीय में अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। 

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