मणिपुर में मई 2023 में भड़की हिंसा के बाद कई लोगों का रोजगार छिन गया है। कई लोग विस्थापित हो गए हैं। मणिपुर के राहत शिवरों में रह रही विस्थापित महिलाओं ने हिम्मत ना हारते हुए रोजगार के लिए काम कर रही हैं। वे हस्त कला उद्योग को नई दिशा देने में जुटी हैं। विस्थापित महिलाओं ने राहत शिवरों में ही एक ऐसी गुड़िया तैयार की जिसकी तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। अब एक बार फिर मणिपुर की एक महिला गुड़िया बनाने की कला के कारण चर्चा में है। एक महिला ने सब्जियों के फेंके हुए कचरे से प्यारी सी गुड़िया बनाकर प्रसिद्धि हासिल की है।
मणिपुर के सेनापति जिले की खूबसूरत पहाड़ियों में 38 साल की नेली चाचेया अपने हाथों की कला से पहचान बना रही हैं। वह सब्जियों के फेंके हुए हिस्सों से नाजुक गुड़िया बनाती हैं। नेली चाचेया पेशे से एक फूलवाली हैं। अब उन्हें एक ऐसी गुड़िया बनाने वाली कलाकार के रूप में जाना जा रहा है जो मक्का की भूसी, सब्जियों के कचरे और रेशम से सुंदर कलाकृतियां बनाती हैं। उनकी कलाकृति देशभर के लोगों को पसंद आ रही है और यह कला लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है।
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हाथों से बनाती हैं सुंदर कलाकृतियां
नेली चाचेया फूल बेचने का काम करती थीं। उन्हें गुड़िया बनाने का आइडिया तब आया जब उन्होंने लोगों को कुछ चीजें फेंकते देखा। उन्होंने सोचा की जो चीजें लोग फेंकते हैं उन्हें नया रूप देकर कुछ अच्छी चीज बनाई जा सकती है। नेली ने कहा, 'मैंने मक्के के छिलके और भूसी से गुड़िया बनाई। मैं मक्के से सुंदर चीजें बनाती हूं।' उनकी गुड़िया की कीमत 200 से 500 रुपये तक है। एक दिन में वह औसतन 10-12 गुड़िया बना लेती हैं।
हर गुड़िया हाथ से बनाई जाती है और ग्राहकों की पसंद के आधार पर नेली गुड़िया के डिजाइन में बदलाव भी कर देती हैं। इनमें सूखे फूलों से सजावट की जाती है और बारीकी से रंग भी किया जाता है। दिखने में ये गुड़िया सीधी-सादी लगती हैं लेकिन इन्हें बनाने में कई घंटे की मेहनत और सुंदरता की समझ होती है। जो काम नेली ने शौक से शुरू किया था, वह अब एक छोटा व्यवसाय बन गया है। मणपुर और कई अन्य राज्यों के लोग उनके इस काम को लोग पसंद कर रहे हैं।
लोगों को पसंद आया नेली का काम
नेली का स्टूडियो (काम करने की जगह) मणपुर के सेनापति जिले में बसा हुआ है और अब यह जगह कला पसंद करने वालों और पर्यावरण का ध्यान रखने वाले लोगों के लिए खास बन गई है। एक ग्राहक ने कहा, 'मैं यहाँ फूल और गुड़िया खरीदने आई थी। मुझे ये बहुत पसंद आईं। नेली ने मक्के के फेंके हुए हिस्सों से गुड़िया बनाई हैं। ये बहुत सुंदर हैं।' नेली हर गुड़िया को लोगों की पसंद के हिसाब से खास तरीके से बनाती हैं, जिससे हर गुड़िया अलग और खास होती है। उनकी बनाई हुई गुड़िया खासकर छोटी लड़कियों को बहुत पसंद आती हैं। नेली के इस काम से बहुत से स्थानीय लोग भी अब हाथ से बनी और पर्यावरण के अनुकूल चीजों की अहमियत समझने लगे हैं।
सस्टेनेबिलिटी पर खास ध्यान
नेली की इस पहल ने लोगों का ध्यान सस्टेनेबिलिटी की और आकर्षित किया है। उनकी कला सस्टेनेबिलिटी के प्रति समर्पण को दर्शाती है। खेतों से निकले कचरे को सुंदर गुड़िया में बदलना सिर्फ एक कला या रोजगार नहीं है बल्कि यह रिसाइकलिंग का एक अभियान है। नली के इस अभियान ने युवाओं का ध्यान आकर्षित किया है और युवाओं को सस्टेनेबल उत्पादों की कीमत को समझने के लिए प्रेरित कर रहा है। उनकी कहानी मणिपुर की उन हजारों महिलाओं की कहानी जैसी है जो अस्थिरता के इस दौर में भी उद्यमिता को अपनाकर वित्तीय स्वतंत्रता हासिल कर रही हैं।