बिहार का सीवान जिला देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का गृह नगर है। सीवान, 8वीं शताब्दी तक, बनारस साम्राज्य का हिस्सा रहा है। जब बक्सर की लड़ाई हुई तो यह शहर, बंगाल का हिस्सा बना दिया गया। इसी विधानसभा की एक सीट है दरौंदा। इस विधानसभा की सीट संख्या 109 है। यहां से भारतीय जनता पार्टी के कर्णजीत सिंह और व्यास सिंह विधायक हैं।
साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट साल 2010 में अस्तित्व आई। दरौंदा, सीवान, फलपुरा, लहेजी, मंदरौली, मंडरापाली, सहौली, हसनपुरा और हरपुर कोटवा ग्राम जैसी पंचायतें इस विधानसभा के अंतर्गत आती हैं।
दरौंदा विधानसभा की ज्यादातर आबादी ग्रामीण है। सीवान की अन्य विधानसभाओं की तुलना में यह विधानसभा थोड़ी विकासशील है। यहां से पटना शहर की दूरी 119 किलोमीटर है। सिर्फ 23 मिनट की दूरी पर जिला मुख्यालय है। जिला मुख्यालय यहां से 13 किलोमीटर दूर है। दरौंदा से सीवान के बीच ट्रेनें भी चलती हैं।
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मुद्दे क्या हैं?
दरौंदा विधानसभा में खराब सड़कों का मुद्दा विधानसभा तक उठा है। कई जगहों पर सड़कें टूटी हुई हैं। सड़कें बनी हैं लेकिन बारिश के दिनों में जलजमाव की समस्या आम हो गई है। अच्छे स्कूलों और अस्पतालों की कमी है। रोजगार के लिए खेती सहारा है, इसलिए पलायन ज्यादा है। यहां 2020 के चुनाव में सिर्फ 51.11 प्रतिशत वोट पड़े थे।
सीट का परिचय
दरौंदा विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या 555696 है। पुरुष मतदाताओं की संख्या 288111 है, वहीं 267585 महिला मतदाता हैं। थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 9 है।
2020 का चुनाव कैसा था?
2020 के चुनाव में करणजीत सिंह ने CPI (ML) (L) उम्मीदवार अमरनाथ यादव को 11320 वोटों से हराया था। तीसरे नंबर पर निर्दयी उम्मीदवार रोहित कुमार अनुराग थे, जिन्हें 10,299 वोट पड़े थे। 2019 के उपचुनावों में करणजीत सिंह ने अपना दम दिखाया था। उन्होंने तब जेडीयू के अजय कुमार सिंह को करारी हार दी थी। करणजीत तब निर्दलीय उतरे थे। उन्हें 51223 वोट पड़े, वहीं अजय कुमार सिंह को 23944 वोट पड़े। आरजेडी के उमेश कुमार सिर्फ 20911 वोट हासिल कर सके।
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2025 में क्या समीकरण बन रहे हैं?
यह सीट, पारंपरिक तौर पर जेडीयू की सीट रही है। जेडीयू इस सीट पर एनडीए गठबंधन में दावेदारी पेश कर सकती है। मौजूदा विधायक करणजीत भी यहां से सक्रिय हैं, वह बीजेपी से हैं। इंडिया ब्लॉक की ओर से लेफ्ट के उम्मीदवार अमरनाथ यादव एक बार फिर उतर सकते हैं।
विधायक का परिचय
करणजीत सिंह, भारतीय जनता पार्टी के चर्चित नेताओं में शुमार हैं। उन्हें लोग व्यास सिंह के तौर पर भी जानते हैं। साल 2019 में वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुने गए थे, 2020 में बीजेपी ने उन्हें टिकट दे दिया। करणजीत सिंह व्यापार से जुड़े रहे हैं। साल 2020 में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 6 करोड़ रुपये घोषित की थी। वह 12वीं पास हैं। उनके खिलाफ कुल 4 केस दर्ज हैं। वह एक बार फिर पूरे दमखम से चुनावी मौदान में उतर रहे हैं।
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सीट का इतिहास
साल 2010 में इस विधानसभा पर पहली बार चुनाव हुए। यह सीट, एनडीए के दबदबे वाली सीट रही है। पहली बार इस सीट से जेडीयू की जगमातो देवी गिरफ्तार हुईं हैं। 2011 में जगमातो देवी का निधन हो गया था, जिसके बाद हुए उपचुनाव में कविता सिंह विधायक चुनीं गईं। साल 2015 में भी उन्होंने ही जीत हासिल की। 2019 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उपचुनाव में करणजीत सिंह जीते। करणजीत सिंह 2020 के चुनाव में विजयी हुए थे।
अब तक का इतिहास
- 2010 विधानसभा चुनाव: जगमातो देवी, JDU
- 2011 विधानसभा उप चुनाव: कविता सिंह, JDU
- 2015 विधानसभा चुनाव: कविता सिंह, JDU
- 2019 विधानसभा उप चुनाव: करणजीत सिंह
- 2020 विधानसभा चुनाव: करणजीत सिंह