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मुस्तफाबाद विधानसभा: AAP-BJP की जंग में कितने मजबूत हैं ताहिर हुसैन?

मुस्तफाबाद विधानसभा की सीट संख्या 69 है। इस विधानसभा के लोगों की नजरों में मुद्दे क्या हैं, कौन-कौन प्रमुख नेता हैं, आइए जानते हैं।

Mustafabad Vidhan Sabha Seat

Creative Image: (Photo Credit: Khabargaon)

दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा सीट, सबसे संवेदनशील विधानसभाओं में से एक है। यह वही इलाका है, जहां साल नागरिकता कानूनों के खिलाफ फरवरी में हिंसक दंगे भड़क गए थे। दिल्ली दंगों का दर्द यह बस्ती अब भी जूझती है। यहां हुई सांप्रदायिक झड़पों में 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 

यहां के पार्षद ताहिर हुसैन पर दंगे भड़काने के आरोप लगे थे। वह आम आदमी पार्टी से जुड़े थे लेकिन अब AIMIM के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी ने मोहन सिंह बिष्ट को उतारा है और आम आदमी पार्टी ने आदिल अहमद खान को उतारा है। 

मुस्तफाबाद विधानसभा, दिल्ली की चर्चित विधानसभाओं में से एक है। यहां मध्यम और निम्न मध्य वर्गीय परिवारों की संख्या ज्यादा है। शिव विहार, दयालपुर, ब्रिजपुरी, चंदु नगर, मंगलम विहार और चौहानपुर इस विधानसभा के प्रमुख इलाके हैं। 

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मुस्तफाबाद के जातीय समीकरण क्या हैं?
मुस्तफाबाद मुस्लिम बाहुल सीट है। इस विधानसभा में कुल वोटरों की संख्या लगभग 2,62,642 है। मुस्लिम मतदाता ही तय करते हैं कि चुनाव में जीत किसकी होगी। यहां की 40 फीसदी आबादी मु्स्लिम है। यहां 58 फीसदी आबादी हिंदू है। इस विधानसभा सीट पर हिंदुओं की मिश्रित आबादी है। 

चुनावी मैदान में कौन-कौन है?
भारतीय जनता पार्टी ने मोहन सिंह बिष्ट को उतारा है। वह करावल नगर से 5 बार के विधायक रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने आदिल अहमद खान को उतारा है। वह राजनीति में आने से पहले पत्रकार रहे हैं। कांग्रेस ने हसन मेहंदी के बेटे अली मेहंदी को उतारा है।   दिलचस्प बात यह है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने यहां से दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को चुनावी मैदान में उतार दिया है।
 

कैसा था साल 2020 का चुनाव?
आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हाजी युनुस इस विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे। उन्हें कुल 98850 वोट मिले थे। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी जगदीश प्रधान दूसरे नंबर पर थे। उन्हें करीब 42 फीसदी वोट पड़ा था। कांग्रेस की ओर से अली मेहंदी चुनावी मैदान में थे, जिन्हें सिर्फ 5 हजार वोट मिले थे। 

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सीट का इतिहास क्या है?
यह विधानसभा सीट परिसीमन के बाद साल 2008 में अस्तित्व में आई थी। तब कांग्रेस नेता हसन विधानसभा चुनाव में जीते थे। साल 2013 में वह कांग्रेस के ही टिकट पर दूसरी बार जीते। साल 2015 में सियासी समीकरण बदले। जगदीश प्रधान ने इस सीट से जीत हासिल की। आम आदमी पार्टी ने 2020 में हाजी युनुस को उतारा था। उन्होंने जीत हासिल की थी। 

मुस्तफाबाद विधानसभा के मुद्दे क्या हैं?
मुस्तफाबाद, दिल्ली के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक है। तंग गलियां, सघन आबादी और सड़कों पर गंदगी यहां का आम मुद्दा है। यहां की बस्तियों से गुजरते खुले नाले बड़ी चुनौतियां हैं। यहां के लोग नालों की बदबू से भी परेशान रहते हैं। सड़कें टूटी-फूटी हैं। नाले उखड़ चुके हैं या बंद पड़े हैं। सड़कों पर पानी बहता है। ज्यादातर लोगों के पास रोजगार नहीं है। सांप्रदायिक नजरिए से यह इलाका बेहद संवेदनशील है। 

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