अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को 'एकतरफा आपदा' करार दिया। उन्होंने दावा किया कि भारत ने अमेरिकी सामानों पर आयात टैरिफ को 'जीरो' करने की पेशकश की है। ट्रंप ने यह बात अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर कही, जहां उन्होंने भारत के रूस से तेल खरीदने और व्यापार असंतुलन पर फिर से निशाना साधा।
ट्रंप ने कहा, 'लोगों को समझना चाहिए कि हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, लेकिन वे हमारे साथ बहुत ज्यादा व्यापार करते हैं। इसका कारण यह है कि भारत हमारे सामानों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है, जिससे हमारे व्यापारी भारत में सामान बेचने में असमर्थ हैं। यह पूरी तरह से एकतरफा आपदा है!'
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व्यापार में असंतुलन
2024 में, भारत ने अमेरिका से 41.5 बिलियन डॉलर के सामान आयात किए, जबकि अमेरिका को 87.3 बिलियन डॉलर का निर्यात किया। इससे भारत को 45.8 बिलियन डॉलर का ट्रेड सरप्लस मिला। 2025 के पहले छह महीनों में, भारत ने 56.3 बिलियन डॉलर का निर्यात किया और 22.1 बिलियन डॉलर का आयात किया। ट्रंप का कहना है कि यह असंतुलन और भारत का रूस से तेल खरीदना उनकी नाराजगी का मुख्य कारण है।
रूस से तेल खरीद पर विवाद
ट्रंप ने भारत के रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि भारत रूस से बहुत सारा तेल खरीदता है, जो यूक्रेन युद्ध को 'बढ़ावा' दे रहा है। ट्रंप प्रशासन ने भारत के रूस से तेल खरीदने के लिए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया। यह टैरिफ पिछले महीने के अंत में लागू हुआ।
ट्रंप के शीर्ष सलाहकार पीटर नवारो ने भारत के तेल रिफाइनरों को 'ब्राह्मण' बताते हुए उन पर रूस से सस्ता तेल खरीदकर 'मुनाफाखोरी' का आरोप लगाया। दूसरी ओर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अमेरिका के तर्क को 'अनुचित और अतार्किक' बताया है। भारत का कहना है कि वह रूस से तेल इसलिए खरीद रहा है ताकि 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके।
टैरिफ का भारत पर असर
मोदी सरकार ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन भारत ने अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस के साथ अपने दशकों पुराने रिश्तों को मजबूत करने का संकेत दिया है। हाल ही में मोदी ने जापान और चीन की यात्रा की, जिसे वैश्विक व्यापार में नई रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
50% टैरिफ का असर भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे कपड़ा, रत्न और आभूषण, जूते, चमड़ा और झींगा जैसे उत्पादों पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2024 में 87 बिलियन डॉलर के निर्यात 2026 तक 50 बिलियन डॉलर तक गिर सकते हैं। इससे भारत की जीडीपी पर करीब 1% का असर पड़ सकता है और कई नौकरियां जा सकती हैं। हालांकि, दवाइयों और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों को अभी इस मामले में छूट दी गई है।
ट्रंप की नाराजगी
ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने उनकी पेशकश को ठुकरा दिया कि उन्होंने मई में भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव को रोका था। इसके अलावा, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत रुक गई है, क्योंकि भारत अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को अमेरिकी आयात के लिए खोलने को तैयार नहीं है।
भारत का कहना है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत रूस से तेल आयात कम कर सकता है या अमेरिका से अधिक ऊर्जा आयात पर विचार कर सकता है। लेकिन, मोदी सरकार रूस के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को पूरी तरह नहीं छोड़ना चाहती।
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ट्रंप ने कहा, 'भारत ने अब अपने टैरिफ को जीरो करने की पेशकश की है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। उन्हें यह पहले करना चाहिए था।' इस बीच, भारत सरकार इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है, और वैश्विक व्यापार में नई रणनीति पर काम कर रही है।