मेटा ने गोपनीयता की शर्तें तोड़ने के आरोप में 20 कर्मचारियों को बाहर की राह दिखाई है। मेटा के प्रवक्ता ने कहा है कि जब लोगों को ऑफर लेटर भेजा जाता है, तभी उनसे गोपनीयता नीति पर हस्ताक्षर भी कराया जाता है। जब कोई कर्मचारी इन शर्तों को तोड़ता है उसे बाहर किया जा सकता है।
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद मार्क जुकरबर्ग पर आरोप लगे कि उनका राजनीतिक रुझान डोनाल्ड ट्रम्प की ओर खिसक रहा है। उन्होंने ट्रम्प की पार्टी को 1 मिलियन डॉलर का दान भी दिया था। अब मेटा की सार्वजनिक आलोचना हो रही है।
क्यों बाहर निकाले गए कर्मचारी?
द वर्ज की एक रिपोर्ट के मुताबिक मेटा ने कहा, 'जब कर्मचारी हमारी कंपनी में शामिल होते हैं, तभी हम उनसे कहते है हम हमारी गोपनीय नीतियों को, कंपनी की आंतरिक सूचना को लीक करने के खिलाफ हैं। आपकी मंशा चाहे जो भी हो।'
और भी लोगों की जा सकती है नौकरी
मेटा ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, 'हमने एक आंतरिक जांच कराई, 20 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है, उन्होंने गोपनीय सूचनाओं को कंपनी से बाहर भेजा है। हमें यह उम्मीद भी है कि और भी हो सकते हैं। हम इसे गंभीरता से लेंगे। जब भी सूचना लीक होगी, हम ऐक्शन लेंगे।'
यह भी पढ़ें: 'इंटेलिजेंस फेलियर' था हमास का अटैक, IDF की पहली रिपोर्ट में कई खुलासे
क्यों हुआ मास लेऑफ?
द वर्ज की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मार्क जुकरबर्ग ने कर्मचारियों साथ एक अहम बैठक की थी। उन्होंने कहा कि अब हम और जानकारी नहीं देंगे क्योंकि जब भी हम खुले तौर पर कुछ कहते हैं, लीक हो जाती है। यह परेशान करने वाली बात है। मार्क जुकरबर्ग ने कर्मचारियों को चेतावनी दी थी और कहा था कि हमें व्हाइट हाउस के साथ मिलकर काम करना है।
यह भी पढ़ें: भारतीय छात्रों के लिए मौका है ट्रम्प का 'गोल्ड कार्ड', समझिए कैसे
ट्रम्प के आलोचक अब बन रहे समर्थक
मार्क जुकरबर्ग की विचारधारा बदलती नजर आ रही है। प्रो-लिबरल से अब वह रिपब्लिकन की ओर आगे बढ़ रहे हैं। सोशल मीडिया पर दावे किए जा रहे हैं कि जब से डोनाल्ड ट्रम्प सत्ता में आए हैं, जुकरबर्ग का झुकाव रिपब्लिकन पार्ट की ओर बढ़ा है। सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चा है कि पहले मार्क जुकरबर्ग डोनाल्ड ट्रम्प के आलोचक थे लेकिन अब उनके समर्थक बनते नजर आ रहे हैं।
जनवरी 2021 में कैपिलट हिल्स पर हुए हमले को उकसाने के आरोप में मार्क जुकरबर्ग ने डोनाल्ड ट्रम्प का फेसबुक अकाउंट बंद कर दिया था। धीरे-धीरे मार्क जुकरबर्ग रिपब्लिकन की ओर शिप्ट करते चले गए।