'सिंधु जल संधि को बहाल करें', पाकिस्तान ने लगाई भारत से गुहार
दुनिया
• ISLAMABAD 01 Jul 2025, (अपडेटेड 01 Jul 2025, 10:31 AM IST)
पहलगाम अटैक के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को रोक दिया था। अब पाकिस्तान ने एक बार फिर इस संधि को बहाल करने की गुहार लगाई है।

पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ। (Photo Credit: X@CMShehbaz)
पाकिस्तान ने भारत से सिंधु जल संधि को बहाल करने की गुहार लगाई है। पाकिस्तान के फॉरेन ऑफिस ने इसे लेकर भारत को चिट्ठी लिखी है। इसमें पाकिस्तान ने भारत से सिंधु जल संधि को फिर से बहाल करने की गुहार लगाई है। पाकिस्तान की तरफ से यह गुहार तब लगाई गई है, जब एक दिन पहले ही स्थायी मध्यस्थता अदालत ने सिंधु जल संधि पर फैसला देते हुए कहा है कि यह समझौता अभी भी 'वैलिड और ऑपरेशनल' है।
हालांकि, भारत ने हेग स्थित मध्यस्थता अदालत की कार्यवाही को मान्यता नहीं दी है। सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत पाकिस्तान ने भारत के दो हाइड्रो प्रोजेक्ट पर आपत्ति उठाते हुए इसे मध्यस्थता अदालत में चुनौती दी थी। इसलिए भारत ने यहां चल रही कार्यवाही को कभी मान्यता नहीं दी।
पाकिस्तान की इसी अपील पर 27 जून को स्थायी मध्यस्थता अदालत ने फैसला सुनाया था। हालांकि, भारत ने इस फैसले को खारिज कर दिया था।
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पाकिस्तान ने क्या की अपील?
पाकिस्तान ने भारत से सिंधु जल संधि को बहाल करने की अपील की है। पाकिस्तान के फॉरेन ऑफिस ने एक बयान जारी कर कहा, '27 जून को आए स्थायी मध्यस्थता अदालत का फैसला पुष्टि करता है कि सिंधु जल संधि 'वैलिड और ऑपरेशनल' है और भारत को इसके बारे में एकतरफा कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।'
बयान में फॉरेन ऑफिस ने आगे कहा, 'हम भारत से आग्रह करते हैं कि वह सिंधु जल संधि को तुरंत बहाल करे और संधि के अपने दायित्वों को पूरी तरह और ईमानदारी से पूरा करे।'
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि मध्यस्थता अदालत के फैसले से साफ हो गया है कि सिंधु जल संधि पूरी तरह से वैध है।
Pakistan welcomes the Court of Arbitration’s Supplemental Award reaffirming its jurisdiction in the Kishenganga-Ratle case. The ruling confirms that the Indus Waters Treaty (IWT) remains fully valid. India cannot unilaterally hold it in ‘abeyance’.
— Ishaq Dar (@MIshaqDar50) June 30, 2025
States are measured by their… https://t.co/PZCiuGeFRl
इशाक डार ने X पर पोस्ट करते हुए कहा, 'पाकिस्तान किशनगंगा-रातले मामले में अपने अधिकार क्षेत्र की पुष्टि करने वाले मध्यस्थता अदालत के फैसले का स्वागत करता है। यह फैसला पुष्टि करता है कि सिंधु जल संधि पूरी तरह से वैध है। भारत इसे एकतरफा रूप से नहीं रोक सकता। देशों को अंतरराष्ट्रीय समझौतों के पालन से मापा जाता है। सिंधु जल संधि को बरकरार रखा जाना चाहिए।'
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23 अप्रैल को रोक दी थी संधि
22 अप्रैल को पहलगाम अटैक के अगले दिन 23 अप्रैल को भारत ने सिंधु जल संधि को रोक दिया था। पाकिस्तान ने दावा किया था कि भारत एकतरफा इस संधि को रोक नहीं सकता है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया था कि पाकिस्तान ने कभी सिंधु जल संधि का सम्मान नहीं किया। उन्होंने कहा था, 'दो साल में भारत में कई बार सिंधु जल संधि में जरूरी बदलाव करने के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है लेकिन उसने कोई चिंता नहीं दिखाई। भारत ने हमेशा सिंधु जल संधि का सम्मान किया है। 65 साल से भारत संधि को निभा रहा है, यह हमारी सहनशीलता है। भारत ने इसका सम्मान तब भी किया जब पाकिस्तान ने हमला किया लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा इसमें अड़चनें लगाईं।'
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क्या है सिंधु जल संधि?
वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। यह संधि इसलिए हुई थी, ताकि सिंधु नदी और उसकी 5 सहायक नदियों- सतलुज, रावी, ब्यास, झेलम और चिनाब के पानी का बंटवारा हो सके। दोनों देश अपनी कृषि और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी का इस्तेमाल कर सकें।
संधि के तहत, पश्चिमी नदियां- सिंधु, झेलम और चेनाब का लगभग 80% पानी पाकिस्तान को मिला। भारत इन नदियों की सीमित इस्तेमाल कर सकता है। इन नदियों के 13.5 एकड़ फीट पानी का पाकिस्तान इस्तेमाल करता है। पूर्वी नदियां- रावी, ब्यास और सतलुज का पूरा नियंत्रण भारत के पास है। इन नदियों के 3.3 एकड़ फीट पानी का भारत बिना रोक-टोक इस्तेमाल कर सकता है। भारत को पाकिस्तान के साथ पानी के प्रवाह का डेटा साझा करना होता है। साथ ही एक सिंधु जल आयोग बना, जिसकी बैठकें होती रहती हैं।
भारत ने फिलहाल सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। भारत इस संधि से पूरी तरह से हट नहीं सकता, क्योंकि इसमें वर्ल्ड बैंक भी शामिल है। संधि से बाहर निकलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी। संधि को स्थगित करके भारत अब इसके नियम मानने को बाध्य नहीं है।
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