बांग्लादेश की अस्थिरता के 1 साल हो गए हैं। एक साल में बांग्लादेश में कई बड़े बदलाव हुए हैं। एक लोकतांत्रिक देश से, अलोकतांत्रिक सरकार तक, बांग्लादेश में बहुत कुछ बदला है। धार्मिक उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं, चीन के प्रति बांग्लादेश का झुकाव हुआ है, भारत से दूरी बढ़ी है। 5 अगस्त 2024 में ही शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ दिया था, जिसके बाद से अब तक, मोहम्मद यूनुस ही अंतिरम सरकार के प्रमुख हैं। उन्होंने अब इशारा किया है कि बांग्लादेश में आम चुनाव फरवरी तक कराए जा सकते हैं। मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार, फरवरी 2026 में संसदीय चुनाव कराने की योजना बना रही है।
बांग्लादेश में शेख हसीना पर लोकतंत्र के दमन के आरोप लगे थे। उन्होंने एलान किया था कि 30 फीसदी सरकारी नौकरियों को स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा। उनके इस फैसले पर इतना हंगामा बरपा कि सत्ता तक चली गई। उनके आंदलोन में कई छात्र संगठन उतरे, जमात-ए-इस्लामी भी शेख हसीना के खिलाफ हो गई। मोहम्मद यूनुस सरकार को छात्रों और जमात का समर्थन प्राप्त है। अवामी लीग पर प्रतिबंध लागू है। बांग्लादेश नेशनल पार्टी और कई नए दल सामने आ रहे हैं।
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क्या चाहती हैं बांग्लादेश की नई पार्टियां?
बांग्लादेश की नई पार्टियों में ही एक नाम बेहद चर्चा में हैं, 'नेशनल सिटिजन पार्टी।' यह पार्टी महज 4 महीने पहले ही अस्तित्व में आई है। यह छात्रों का संगठन है। अब यह संगठन मौलिक सुधारों की मांग कर रहा है। एनसीपी की संयुक्त संयोजक ताजनुवा जबीन ने कहा है कि अब सरकार को बदलाव करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'पिछली निरंकुश सरकार में प्रधानमंत्री सर्वशक्तिमान थे। कार्यपालिका, न्यायपालिका और संसद को स्वतंत्र होना चाहिए।'
बांग्लादेश की एनसीपी चाहती है कि यहां लोकतांत्रिक बदलाव आएं। एनसीपी लीडर ताजनुवा जबीन ने कहा है कि बांग्लादेश में 15 साल के निरंकुश शासन के बाद अब प्रशासन और कानून व्यवस्था में बुनियादी सुधार आएं। ऊपरी सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित सीट हो। उन्होंने वादा किया कि उनकी पार्टी लोकतांत्रिक परंपराओं को और मजबूत करेगी।
पार्टी का यह भी कहना है कि किसी को भी नेतृत्व में बने रहने के लिए सिर्फ दो कार्यकाल दिए जाएंगे। अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दी जानी चाहिए। पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध हों। एनसीपी ने कहा कि भारत जैसे देशों के साथ सम्मान आधारित संबंध हों। पार्टी ने उम्मीद जताई है कि अगले साल फरवरी या अप्रैल में चुनाव कराए जाएंगे।
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बांग्लादेश में कैसे बदली थी सत्ता?
अगस्त 2024 में शेख हसीना के खिलाफ उग्र आंदोलन शुरू हो गया था। 5 अगस्त को प्रदर्शनकारी, प्रधानमंत्री कार्यालय तक घुस आए थे। विद्रोह ऐसा बढ़ा कि शेख हसीना 5 अगस्त को देश छोड़कर भाग गईं। उनके जाने के बाद एक अंतरिम सरकार बनी, जिसके मुखिया नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस बने।
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बांग्लादेश की चिंता क्या है?
ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबिक शेख हसीना सरकार में मानवाधिकारों का बड़ी संख्या में उल्लंघन हुआ है। कई जेलें बनाई गईं, लोगों के गायब होने के मामले सामने आए। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में ऐसी घटनाओं पर आंशिक लगाम लगा है लेकिन मानवाधिकारों का उल्लंघन, अब भी एक बड़ी चुनौती है।
- इस्लामिक संगठनों की सक्रियता बढ़ी है
- हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे संगठन लोकप्रिय हुए हैं
- महिलाओं और विरासत के अधिकारों में बदलाव की मांग उठी है
- इस्लामिक कट्टरपंथ बढ़ा है
- आवामी लीग पर अब तक प्रतिबंध है
- भारत विरोधी लहर भी बढ़ी है, यूनुस सरकार, ने चीन से नजदीकी दिखाई है