मोटा अनाज खाओगे तो पतले होगे, ऐसा क्यों बोलते हैं डॉक्टर?
लाइफस्टाइल
• NEW DELHI 08 Jun 2025, (अपडेटेड 09 Jun 2025, 6:08 AM IST)
अगर आप भी अपना वजन तेजी से घटाने चाहते हैं तो अपनी डाइट में मोटे अनाज को शामिल करें। आइए डॉक्टर से जानते हैं कैसे मोटा अनाज यानी (मिलेट्स) आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है।

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Freepik)
हमारे खानपान और लाइफस्टाइल का असर हमारी सेहत पर पड़ता है। इस भागदौड़ वाली जिंदगी में सेंडेटरी लाइफस्टाइल की वजह से हर 8 में से 1 व्यक्ति मोटापे से परेशान हैं। मोटापे की वजह से तमाम तरह की बीमारियां होती हैं। अगर आप भी मोटापे को कम करना चाहते हैं तो अपनी डाइट में मोटे अनाज को शामिल करें।
इस बारे में हमने न्यूट्रीप्लस की डायरेक्टर और सीनियर क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉक्टर अंजलि फाटक से बात की। उन्होंने बताया कि लोगों को अपनी डाइट में रिफाइंड कार्बस की जगह पर मोटे अनाज को शामिल करना चाहिए। ये सिर्फ मोटापे को कम करने में ही मदद नहीं करता है बल्कि बीमारियों से भी दूर रखता है।
डॉक्टर अंजलि ने कहा, 'मोटा अनाज खाओगे, पतले भी होगे और बीमारियों से भी बचोगे!, वहीं, 'जितना सफेद अनाज, उतना ज्यादा खतरा!'
मोटे अनाज से घटता है मोटापा
मोटे अनाज में बाजरा, ज्वार, रागी (nachni), कोदो, सामा, कंगनी, सावां, चना आदि को शामिल किया जाता है। ये अनाज सैकड़ों वर्षों से भारत की पारंपरिक थाली का हिस्सा रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों में जब प्रोसेस्ड फूड और मैदा, सफेद चावल, सफेद आटे ने जगह बना ली, तब मोटे अनाज हमारी थाली से गायब होते गए।
क्यों फायदेमंद है मोटा अनाज?
1. फाइबर से भरपूर: मोटे अनाज में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं, जो पेट को लंबे समय तक भरा रखते हैं और ओवरईटिंग से बचाते हैं।
2. लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स: ज्वार, बाजरा जैसे अनाज धीरे-धीरे शुगर रिलीज करते हैं, जिससे इंसुलिन स्पाइक्स नहीं होता है।
3. प्राकृतिक रूप से ग्लूटन फ्री: गेहूं नहीं पचता, एलर्जी या थायरॉइड है? मोटे अनाज सबसे सुरक्षित विकल्प हैं।
4. प्रोटीन व मिनरल्स से भरपूर: रागी में कैल्शियम, बाजरे में आयरन, ज्वार में पोटैशियम – हर अनाज में एक पोषण तत्त्व छिपा है।
5. पाचन तंत्र के लिए उत्तम: कब्ज, गैस, एसिडिटी से राहत दिलाते हैं।
वजन घटाने में कैसे मदद करता है?
जब हम गेहूं-चावल को कम करके मोटे अनाज शामिल करते हैं, तो शरीर को अधिक फाइबर, कम कैलोरी और अधिक पोषण मिलता है। इससे न केवल मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है बल्कि बेली फैट भी कम होने लगता है। और सबसे खास बात यह है कि मोटे अनाज आपको संतुलित ऊर्जा देते हैं, जिससे आप दिन भर एक्टिव रहते हैं।

मोटे अनाज खाने से पहले ध्यान रखें:
• एक बार में एक ही अनाज शुरू करें – शरीर को समय दें
• ज्यादा मात्रा में ना खाएं – शुरुआत में 1–2 बार/दिन
• अच्छी तरह पकाएं – कम पकाया हुआ मोटा अनाज पाचन में भारी हो सकता है
डॉक्टर अंजलि ने बताया कैसे मोटा अनाज लाइफस्टाइल बीमारियों से बचाता है?
1. डायबिटीज में फायदेमंद: मोटे अनाज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह धीरे-धीरे शुगर रिलीज करते हैं। इससे ब्लड शुगर स्थिर रहता है और इंसुलिन का स्तर कंट्रोल में रहता है।
2. हृदय रोग से बचाव:इन अनाजों में मैग्नीशियम, पोटैशियम, और घुलनशील फाइबर भरपूर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखते हैं।
3. मोटापा कम करने में सहायक: इनमें फाइबर अधिक होता है, जिससे पेट लंबे समय तक भरा रहता है और बार-बार भूख नहीं लगती। मेटाबॉलिज़्म भी सुधरता है।
4. थायरॉइड व हॉर्मोन बैलेंस: मोटे अनाज खासतौर पर ज्वार और कोदो में पाए जाने वाले जिंक और आयरन, हॉर्मोन संतुलन में मदद करते हैं।
5. फैटी लिवर व पाचन सुधार: रागी, बाजरा व कोदो जैसे अनाज लिवर को डिटॉक्स करते हैं और कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी समस्याओं में राहत देते हैं।
6. हड्डियों को मजबूती: रागी कैल्शियम से भरपूर होती है – जो हड्डियों और जोड़ों के लिए अत्यंत लाभकारी है, खासकर महिलाओं और वृद्धों के लिए।
क्यों नहीं खाना चाहिए रिफाइंड अनाज
डायटीशियन अंजलि फाटक के मुताबिक, 'आज के दौर में सफेद चावल, मैदा, रिफाइंड आटा, ब्रेड और कुकीज जैसे रिफाइंड अनाज हमारी थाली का बड़ा हिस्सा बन चुके हैं। ये दिखने में आकर्षक और पकाने में आसान भले हों, लेकिन सेहत के लिहाज से बेहद नुकसानदायक है। आइए समझते हैं कि रिफाइंड अनाज क्या हैं, ये कैसे बनाए जाते हैं, और हमारे शरीर पर इसका क्या असर पड़ता है'।
रिफाइंड अनाज क्या होते हैं?
रिफाइंड अनाज वे अनाज हैं जिनसे छिलका (ब्रान), भूसी (जर्म), और रेशा (फाइबर) को निकाल दिया जाता है।
इनमें केवल स्टार्च (कार्बोहाइड्रेट) बचता है — जैसे:
• मैदा (सफेद आटा)
• सफेद चावल (पॉलिश्ड राइस)
• कॉर्नफ्लोर
• ब्रेड, बिस्किट, पिज्ज़ा बेस, पास्ता आदि
रिफाइंड अनाज के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम:
1. ब्लड शुगर में तेजी से वृद्धि: रिफाइंड अनाज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत अधिक होता है, जिससे ये जल्दी पचते हैं और खून में ग्लूकोज़ का स्तर तेजी से बढ़ाते हैं। इससे डायबिटीज़ का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
2. वजन बढ़ाता है: रिफाइंड अनाज में फाइबर और प्रोटीन नहीं होता, जिससे बार-बार भूख लगती है और व्यक्ति ओवरईटिंग करता है।
3. फैटी लिवर और कोलेस्ट्रॉल की समस्या: लगातार रिफाइंड कार्ब्स का सेवन लिवर में फैट जमा करता है और शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाता है।
4. पाचन तंत्र कमजोर करता है: फाइबर की कमी से कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी समस्याएँ होती हैं। रिफाइंड आटा आंतों में चिपकता है, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण घटता है।
5. कम एनर्जी और थकान: रिफाइंड अनाज से मिली एनर्जी थोड़े समय में खत्म हो जाती है, जिससे व्यक्ति को थकान, चिड़चिड़ापन और नींद महसूस होती है।
6. त्वचा और बालों पर असर: इनमें मौजूद ट्रांस फैट्स और शुगर से त्वचा पर मुहांसे, बालों में गिरावट और असमय बुढ़ापा शुरू हो सकता है।

ऐसे करें अपने दिन की शुरुआत
• रिफाइंड अनाज का सेवन केवल विशेष अवसरों तक सीमित रखें।
• दिन की शुरुआत साबुत अनाज या मोटे अनाज से करें।
• बच्चों को बचपन से ही रागी, दलिया, मिलेट्स की आदत डालें।
• लेबल देखकर खरीदें — “Whole grain” या “Unpolished” उत्पादों को प्राथमिकता दें।
डाइट के साथ रोजाना 30 से 45 मिनट एक्सरसाइज करें। इसके अलावा हर व्यक्ति को 8 से 9 की नींद लेनी चाहिए।
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