हेल्दी रहने के लिए एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। रोजाना एक्सरसाइज करने से हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। साथ ही बीमारियों से भी बच रहते हैं। सोशल मीडिया पर लोग फिटेनस मंत्रा, डाइट प्लान और वर्कआउट रूटीन को शेयर करते हैं। कई लोग तेजी से वजन घटाने के लिए जरूरत से ज्यादा वर्कआउट करते हैं। हाल ही में अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके लिए शुरुआत में वजन घटाने के मतलब है कि आप कितने घंटे जिम में वर्कआउट करते हों। इस वजह से वह अपने शरीर को आराम नहीं देती थी। जरूरत से ज्यादा वर्कआउट करने की वजह से वह ओवरट्रेनिंग सिंड्रोम से जूझ रही थीं लेकिन अब उन्होंने अपना फिटनेस रूटीन बदल लिया है। उन्होंने बताया कि पहले के मुकाबले अब मैं 20% ही वर्कआउट करती हूं और हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो कर रही हूं। मैं अब खुद को पहले से ज्यादा फिट मानती हूं। आइए जानते हैं क्या है ओवरट्रेनिंग सिंड्रोम और कैसे हमारी हड्डियों और मांसपेशियों को प्रभावित करता है।
जिम में जरूरत से ज्यादा वर्कआउट करने को ओवरट्रेनिंग सिंड्रोम कहा जाता है। इसमें व्यक्ति शरीर को पर्याप्त आराम करने का समय नहीं देता है। शरीर को रिकवरी करने का मौका नहीं मिलता है जिस कारण से चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है। इस वजह से आपकी नींद पर प्रभाव पड़ता है। आप दिन भर थका हुआ महसूस करते है और इम्यूनिटी भी कमजोर हो जाती है। ओवरट्रेनिंग सिंड्रोम आपको शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी नुकसान पहुंचाता है।
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ओवरट्रेनिंग से हड्डियों पर पड़ता है प्रभाव
Frontiers in Physiology ने 2020 में अपनी स्टडी में पाया था कि इंटेंस ट्रेनिंग वे लोग ज्यादा कर रहे हैं जिन्होंने हाल ही में वर्कआउट करना शुरू किया है। हद से ज्यादा एक्सरसाइज करने से हार्मोन इम्बैंलेस होता है और दिल पर भी दबाव पड़ता है। ओवरट्रेनिंग की वजह से रीमॉडलिंग की प्रकिया पर प्रभाव पर पड़ता है। रीमॉडलिंग में हड्डियों के पुराने टिशूज को नए टिशूज से बदला जाता है ताकि हड्डियां मजबूत रहे और फिजिकल एक्टिविटी करने में कोई दिक्कत ना हो लेकिन हद से ज्यादा वर्कआउट करने की वजह से हड्डियों में बार बार के दबाव की वजह से स्ट्रेस फ्रैक्चर हो सकता है।

ओवरट्रेनिंग की वजह से ऑस्टियोपरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियां कमजोर और नाजुक हो जाती है खासकर तब जब शरीर को पर्याप्त आराम और पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि इसमें हमारी मांस पेशियां और हड्डियां दोनों पर अधिक दबाव पड़ता है जो हमें चलने फिरने में मदद करती है। बिना ट्रेनर के वर्कआउट करने से मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों में दर्द और स्ट्रस फ्रैक्चर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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ओवरट्रेनिंग के लक्षण
- मांसपेशियों में दर्द और अकड़न
- चिंता
- मांसपेशियों में खिंचाव
- कार्टिलेज का फटना
- नींद ना आना
- दिल की धड़कनों का तेज होना
- हाई ब्लड प्रेशर
- डिप्रेशन
- एक्सरसाइज करते समय एक्टिव ना रहना
- बार बार सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों का होना
- अचानक से वजन घटना या बढ़ना
वर्कआउट करते समय इन बातों का रखें ध्यान
- बिना ट्रेनर के वर्कआउट करने की गलती ना करें।
- एक्सरसाइज करते समय अपने पॉश्चर को सही रखें।
- एक्सरसाइज करते समय सही तकनीक को फॉलो करें।
- एक्सरसाइज के साथ पर्याप्त मात्रा में आराम करें।