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कम तीव्रता फिर भी भूकंप से हिली दिल्ली, वजह क्या है? समझिए विज्ञान

दिल्ली में सुबह 5.35 मिनट पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.0 रही। भूकंप का केंद्र दिल्ली स्थित धौलाकुआं था।

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दिल्ली की बनावट बेहद सघन है। (Photo Credit: PTI)

दिल्ली-NCR में अक्सर भूकंप आते हैं। राष्ट्रीय राजधानी जोन IV में आती है, जिसका मतलब है कि यह इलाका भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। दिल्ली में 5 से 6 मैग्नीट्यूड के झटके महसूस पहले भी हुए हैं। दिल्ली में अब तक के इतिहास में कभी 6 से 7 और 7 से 8 मैग्निट्यूड के भूकंप आ चुके हैं।

सवाल यह है कि अगर सिर्फ 4 रिक्टर स्केल पर दिल्ली में भूकंप आया तो फिर धरती इतनी तेज क्यों कांपी कि दहशत जैसे हालात पैदा हो गए। कई लोगों ने दावा किया कि बस सबकुछ खत्म होने वाला है, कुछ लोग भूकंप बीतने के बाद भगवान को शुक्रिया कहते नजर आए। भूकंप का झटका इतना तेज था कि काफी देर तक महसूस हुआ। 

भूकंप नैनो सेकंड्स से कम भी कम वक्त के लिए आए हैं, ऐसे में कभी बड़ी जनहानि नहीं हुई है। दिल्ली भूकंप के लिए सबसे जोखिम वाले इलाकों में से एक है। सुबह जब 5.36 मिनट पर भूकंप आया तो लोग कांप गए। भूकंप का केंद्र धौला कुआं था। धरती के 5 किलोमीटर की गहराई में भूकंप का केंद्र था। 

कम तीव्रता के भूकंप पर इतना तेज क्यों झटका महसूस हुआ?
कलाम सेंटटर एंड होमी लैब के फाउंडर सृजन पाल सिंह ने बताया है कि दिल्ली में कम तीव्रता के बाद भी क्यों इतने तेज भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, 'रिक्टर स्केल पर दिल्ली के भूकंप की तीव्रता 4.0 मैग्नीट्यूड थी। यह बहुत ज्यादा नहीं है। तीव्रता 6 से भी ज्यादा हो सकती है। लेकिन क्या आपको पता है कि क्यों यह अब तक दिल्ली का सबसे तेज झटका क्यों था? वजह यह थी कि दिल्ली की इस बार भूकंप के केंद्र में थी। किसी भूकंप के केंद्र में ऐसे ही भूकंप का एहसास होता है।'  सृजन पाल सिंह ने इससे जुड़ा एक मैप भी शेयर किया है, जिसमें भूकंप के केंद्र की तस्वीर बनी नजर आ रही है। उन्होंने प्रतीकात्मक तस्वीर शेयर की है।

दिल्ली में भूकंप के बाद लोग घरों से बाहर निकल गए। (Photo Credit: PTI)

 

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क्या होता है भूकंप का केंद्र?
द यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के मुताबिक भूकंप का केंद्र जहां से प्लेटें खिसकनी शुरू होती हैं, वह हाइपोसेंटर (अवकेंद्र) कहलाता है। जिस जगह पर प्लेटों का टकराव होता है, उसके ऊपर के केंद्र को भूकंप का केंद्र कहते हैं। इसे इपीसेंटर (उपरिकेंद्र) कहते हैं। 

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भूकंप का विज्ञान क्या है?
जब पहली बार झटके महसूस होते हैं, उन्हें 'मेनशॉक' कहते हैं, उसके बाद के झटकों को 'आफ्टरशॉक' कहते हैं। पृथ्वी का निर्माण कई प्लेटों में मिलकर हुआ है। जमीन का जो हिस्सा हमें नजर आता है, उसके भीतर कई टेक्टोनिक प्लेटें हैं। इनमें जब भी टकराव होता है या ये अपनी जगह से खिसकती हैं, तब भूकंप आता है। नासा की वेबसाइट के मुताबिक भूकंप का सबसे ज्यादा असर केंद्र के पास ही होता है। भूकंप के झटके दूर तक महसूस हो सकते हैं। भूकंप का जो हिस्सा केंद्र में होता है, वहीं सबसे ज्यादा असर होता है। 

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दिल्ली ही भूकंप के लिए संवेदनशील क्यों?
दिल्ली, भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के जोन IV में आता है। दिल्ली की बसवाट प्लानिंग के हिसाब से नहीं है। दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी का तर्क है कि दिल्ली में जिस तरह की भौगोलिक संरचनाएं हैं, वहां जोखिम सबसे ज्यादा हो सकता है। कनॉट प्लेस से लेकर यमुना पार के इलाके और अनियोजित बस्तियों के आसपास के इलाके में सबसे ज्यादा खतरा है।

दिल्ली के इन इलाकों में बेहद सघन आबादी रहती है, खराब और कमजोर इमारतें हैं, जिनमें भूकंप रोधी तकनीत तक का इस्तेमाल नहीं हुआ है। 29 मार्च 1999 को दिल्ली के यमुना पार के इलाकों में बनी ऊंची बिल्डिंगों में भूकंप की वजह से दरारें आई थीं। तब से लेकर अब तक दिल्ली में विनाशकारी भूकंप नहीं आया है लेकिन दिल्ली पर हमेशआ भूंक का खतरा मंडराता रहता है।

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