TB संक्रमण में 17.7% गिरावट, आखिर हुआ कैसे? इनसाइड स्टोरी
देश
• NEW DELHI 23 Mar 2025, (अपडेटेड 27 Mar 2025, 12:48 PM IST)
देश में टीबी उन्मूलन के लिए 100 दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान की शुरुआत 7 दिसंबर 2024 को हुई थी। कामयाबी क्या मिली, आइए जानते हैं।

भारत में टीबी का मुफ्त इलाज होता है। (AI Generated Image, Photo Credit: Grok)
दुनिया में हर साल तपेदिक (TB) की वजह से कम से कम से कम 12 से 13 लाख लोगों की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 में ही टीबी से मरने वाले लोगों की संख्या करीब 12.5 लाख थी। साल 2022 में करीब 13.2 लाख लोग टीबी के संक्रमण की वजह से मरे थे। टीबी उन संक्रामक बीमारियों में शामिल है, जिनकी वजह से हर साल लाखों लोग मरते हैं। देश 'टीबी मुक्त भारत' अभियान पर है, जिसके लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने 100 दिवसीय 'गहन टीबी मुक्त भारत अभियान' भी शुरू किया था।
भारत में टीबी, किसी महामारी से कम नहीं है। भारत भले ही टीबी उन्मूलन अभियान चला रहा हो लेकिन साल 2023 में जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में 25 फीसदी टीबी के मामले सिर्फ भारत में ही हैं। साल 2023 में देश में टीबी के कुल 25 लाख 37 हजार नए मामले में सामने आए थे। जहां दुनियाभर में टीबी की वजह से 12.5 लाख मौतें होती हैं, वहीं भारत में भी 3.20 लाख लोगों ने टीबी की वजह से जान गंवाते हैं। इन आंकड़ों में सुधार का अंतर भी बेहद कम होता है।
TB मुक्त भारत अभियान क्या है?
7 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार ने 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संवेदनशील आबादी के लिए 347 जिलों में 100 दिनों का टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया। मकसद था कि टीबी के मामलों की ज्यादा से ज्यादा ट्रेसिंग हो। टीबी की सही समय पर जांच हो और मौत के खतरे को कम से कम किया जाए।
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100 दिनों की उपलब्धि क्या है?
7 दिसंबर से लेकर 14 मार्च तक के बीच करीब 9.02 करोड लोगों की टीबी जांच की गई, जिनमें कुल 3,01,803 नए मामले सामने आए। इन मरीजों का इलाज किया जा रहा है। यह आंकड़े स्वास्थ्य मंत्रालय ने सांस अशोक कुमार रावत के सवाल के जवाब में संसद में दिए हैं।
9 करोड़ जांच, 3 लाख केस, फिर भी राहत क्यों?
टीबी संक्रमण के मामलों में अगर सही वक्त पर बीमारी का पता चल जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। टीबी के मरीज का पता चल जाए तो लोग सावधान हो जाते हैं। बैक्टीरिया के फैलने की आशंका कम हो जाती है। यह छींकने, बात करने और गाने तक से फैलने वाली बीमारी है। अगर सही समय से DOTS थेरेपी मिलनी शुरू हो जाए तो इस बीमारी के जानलेवा होने की आशंका कम हो जाती है। 3 लाख नए मरीजों का इलाज भी शुरू हो गया है।
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भारत में घटे TB के 17.7 प्रतिशत केस
2024 में WHO की रिपोर्ट बताती है कि साल 2015 में प्रति 1 लाख लोगों में 237 लोग टीबी से संक्रमित थे, साल 2023 तक यह आंकड़ा 195 तक आ गया है। करीब 17.7 फीसदी केस कम हुए हैं। यह वैश्विक गिरावट से करीब 2 गुना से भी ज्यादा है। टीबी की वजह से साल 2015 में प्रति 1 लाख लोगों में 28 लोग जान गंवा देते थे, 2023 में यह आंकड़ा 22 तक आ गिरा है।
कैसे TB के संक्रमण में आई है गिरावट?
33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 347 जिलों में स्वास्थ्य विभाग टीबी मुक्त अभियान चला रहा है। टीबी के मरीजों को मुफ्त दवाइयां दी जा रही हैं, मुफ्त जांच मुहैया कराई जा रही है। टीबी के लिहाज से जो इलाके ज्यादा संवेदनशील हैं, वहां जांच बढ़ाई जा रही है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर में भी टीबी जांच और इलाज की सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
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टीबी के मरीजों के पोषण के लिए हर महीने आर्थिक मदद दी जा रही है। यह राशि तब तक मिलती है, जब तक टीबी ठीक न हो जाए। पहले यह राशि 500 रुपये थी, जिसे बढ़ाकर 1,000 रुपये किया गया है। स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए जा रहे हैं, निक्षय पोर्टल के जरिए नए मामलों पर नजर रखी जा रही है।
राहत के बाद भी जोखिम क्या हैं?
यह आंकड़े वे हैं, जिन्हें सरकार ने सार्वजनिक किया है। लोग सामाजिक लोकलाज के डर से भी संक्रमण के मामलों को छिपाते हैं। इसके अलावा कुछ लोग टीबी का इलाज पूरा होने से पहले ही इलाज बंद कर देते हैं। टीबी के कुल मामलों में से 27 फीसदी मामले सिर्फ भारत में हैं। भारत में 2023 में ही करीब 3 लाख लोगों ने टीबी की वजह से जान गंवाई।
अशिक्षा और जागरूकता की कमी की वजह से सीमांत इलाकों में लोग टीबी को भी सामान्य खांसी-जुकाम की वजह से टाल देते हैं, जिसके जानलेवा नतीजे होते हैं। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती, सीमांत इलाकों में भी टीबी को लेकर जागरूक करना है, मरीजों को सही इलाज देना है।
टीबी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में कहां खड़ा है भारत?
देश | कितने प्रतिशत मामले? |
भारत | 27% |
इंडोनेशिया | 10% |
चीन | 7.1% |
फिलीपींस | 7.0% |
पाकिस्तान | 5.7% |
नाइजीरिया | 4.5% |
बांग्लादेश | 3.6% |
कांगो | 3% |
सोर्स: WHO 2022 रिपोर्ट |
भारत में टीबी का इलाज कैसे होता है?
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में टीबी का इलाज राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत नि:शुल्क होता है। इलाज में जांच से लेकर लैब टेस्ट तक फ्री होता है। सामान्य तौर पर बलगम की जांच की जाती है, एक्सरे से भी टीबी की जांच होती है। आयशा हेल्थ केयर, सिद्धार्थनगर के चीफ डॉ. शाहिद अख्तर के मुताबिक टीबी का इलाज DOTS थेरेपी के जरिए किया जाता है। इस थेरेपी में मरीजों को नियमित एक अंतराल के बाद दवाइयां दी जाती हैं। मरीज के वजन और स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर ही दवाइयों के डोज तय किए जाते हैं। डॉ. शाहिद बताते हैं कि अगर सामान्य टीबी है तो इलाज 6 महीने तक चलता है, अगर ड्रग रेसिस्टेंट टीबी है तो 9 से 24 महीने तक इलाज चल सकता है। सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य केंद्रों में मुफ्त इलाज भी मिलता है।
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टीबी से बचने के लिए क्या करें?
डॉ. शाहिद अख्तर के मुताबिक बचपन में बच्चों को बीसीजी वैक्सीन टीबी से बचने के लिए ही दी जाती है। संक्रमित मरीजों से उचित दूरी बरतनी चाहिए। संक्रमित व्यक्तियों को मास्क पहनना चाहिए, खुले में बलगम नहीं थूकना चाहिए। पौष्टिक आहार, टीबी के बैक्टीरिया को रोक सकता है। अगर आप संक्रमित हो गए हैं तो तब तक इलाज न छोड़ें, जब तक पूरी तरह से ठीक रिपोर्ट न आ जाए। टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की वजह से फैलती है। अगर आप भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जा रहे हैं, मेट्रो और सार्वजनिक वाहनों से सफर करते हैं तो आपको मास्क लगाकर चलना चाहिए, जिससे जोखिम कम हो जाता है।
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