केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और दक्षिण भारतीय राज्यों के नेता नई शिक्षा नीति को लेकर आमने-सामने हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु से लेकर केरल तक, नई शिक्षा नीति पर केंद्र का विरोध कर रहे हैं। अब फिल्म अभिनेता से नेता बने मक्कल नीधि मैयम (MNM) के संस्थापक कमल हासन ने भी भाषा पर केंद्र को चेतावनी दी है।
मक्कल नीधि मैयम के 8वें स्थापना दिवस पर शुक्रवार को कमल हासन ने चेन्नई में पार्टी का ध्वज फहराया। उन्होंने तमिल लोगों के सामने आने वाली चुनैतियों का जिक्र किया और कहा कि भाषा को बचाने के लिए जंग लड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि तमिल के लोग हिंदी थोपे जाने के खिलाफ लड़ते आए हैं।
कमल हासन ने तमिलनाडु के इतिहास का जिक्र किया, जब हिंदी विरोधी आंदोलन वहां शुरू हुए थे। उन्होंने चेतावनी दी कि भाषा के मुद्दे को हल्के में लेने की जरूरत नहीं है। तमिलनाडु भाषाई स्वायत्तता के लिए अरसे से चली आ रही भावनाओं के साथ पला बढ़ा है।
'तमिलों ने भाषा के लिए जान गंवाई है'
कमल हासन ने कहा, 'तमिलों ने एक भाषा के लिए अपनी जान गंवाई है। उन चीजों के साथ मत खेलो। तमिलों के बच्चों को भी पता है कि उन्हें किस भाषा की जरूरत है। उन्हें यह चुनने का ज्ञान है कि उन्हें किस भाषा की जरूरत है।'
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असफल राजनेता के टैग पर क्या कहा?
कमल हासन ने माना कि उन्होंने राजनीतिक पारी देर से शुरू की। उन्हें उनके आलोचक एक फेल राजनेता बुलाते हैं। उन्होंने कहा कि वह पहले भी राजनीति में आ सकते थे। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि मैं हार गया क्योंकि मैं राजनीति में बहुत देर से आया। अगर मैं 20 साल पहले आया होता, तो मेरी भाषा और स्थिति अलग होती।'
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'विधानसभा में जाने का प्लान बना रहे कमल हासन'
कमल हासन ने कहा है कि वह अपनी पार्टी MNM को आगे ले जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगले साल विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी। उन्होंने अपने समर्थकों से 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू करने की अपील की। उन्होंने कार्यकर्ताओं से राजनिति में सक्रिय होने की अपील की।
कमल हासन ने कहा, 'आज हम 8 साल के हो गए हैं। जैसे कोई बच्चा बड़ा हो रहा हो। इस साल, हमारी आवाज संसद में सुनी जाएगी और अगले साल आपकी आवाज विधानसभा में दिखाई देगी।'