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राहुल गांधी की राजनीतिक यात्राओं से कांग्रेस को क्या हासिल हुआ है?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 3 राजनीतिक यात्राएं चर्चा में रही हैं। भारत जोड़ो यात्रा, भारत जोड़ो न्याय यात्रा और वोटर अधिकार यात्रा। जब-जब विधानसभाओं में चुनाव होते हैं, राहुल गांधी किसी न किसी यात्रा पर निकलते हैं।

Rahul Gandhi in Nyay Yatra

भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी। (Photo Credit: INC/X)

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, फिर एक यात्रा पर हैं। बिहार के सासाराम से 17 अगस्त को उन्होंने 'वोटर अधिकार यात्रा' की शुरुआत की, जिसे राष्ट्रीय जनता दल, विकास शील इंसान पार्टी और वाम दलों ने परिवर्तनकारी बताया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की राजनीतिक यात्राएं, हमेशा सुर्खियों में रहीं हैं। चाहे साल 2022 में शुरू हुई भारत जोड़ो या मौजूदा वोटर अधिकार यात्रा। कांग्रेस राहुल गांधी की हर यात्रा को बदलाव की यात्रा बताती है। कांग्रेस के आलोचक, इन यात्राओं को अस्तित्व बचाने की यात्रा भी बताते हैं। 

साल 2014 के बाद कांग्रेस अपना जनाधार कई राज्यों में खोती चली गई। यूपी से लेकर महाराष्ट्र तक, कांग्रेस ने हर राज्य में अपना जनाधार खोया। जो पार्टी दशकों तक सत्ता में रही हो, 2014 तक सत्ता में रही हो, वह अचानक 50 से कम सीटों पर सीटों पर सिमट गई थी। कई विधानसभा चुनाव बीते, साल 2019 का लोकसभा चुनाव भी बीत गया, कांग्रेस में खूब बिखराव हुए, कई बड़े नेताओं ने किनारा कर लिया। कांग्रेस सोच नहीं पा रही थी कि कैसे पार्टी का जनाधार दोबारा हासिल किया जाए।

कांग्रेस मुद्दे खोज रही थी। हर मोर्चे पर बैकफुट पर थी। पार्टी के दिग्गज नेताओं ने तय किया कि अब कांग्रेस को एक यात्रा की जरूरत है। कांग्रेस ने महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता के खिलाफ एक अभियान शुरू किया। तारीख चुनी गई 7 सितंबर 2022। कन्याकुमारी से शुरू हुई यह यात्रा करीब महीनों बाद 19 जनवरी 2023 को श्रीनगर में खत्म हुई। कश्मीर से कन्याकुमारी तक इस पैदल यात्रा में कांग्रेस ने कई अहम पड़ाव हासिल किए। लोकसभा चुनाव 2024 से 2 साल पहले शुरू हुई इस यात्रा के दूरगामी नतीजे निकले।

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राहुल गांधी की राजनीतिक यात्राओं से हासिल क्या हुआ? 


भारत जोड़ो यात्रा

  • कब से कब तक: 7 सितंबर 2022 से 19 जनवरी 2023 तक।
  • कहां से कहां तक: कन्याकुमारी से कश्मीर तक। 136  दिनों में 4080 किलोमीटर की यात्रा। 12 राज्य, 2 केंद्र शासित प्रदेशों की सैर।
  • मकसद: BJP की कथित विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ देश को एकजुट करना
  • हासिल क्या हुआ: भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को तात्कालिक लाभ तो नहीं मिला लेकिन यह यात्रा, कांग्रेस के लिए परिवर्तनकारी साबित हुई। कांग्रेस का लोकसभा चुनावों में बुरा हाल हो रहा था। 2014 में कांग्रेस ने सिर्फ 44 सीटों पर जीत हासिल की थी, 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 52 तक पहुंच गया था। कांग्रेस के सहयोगी दल ही कांग्रेस को आंख दिखाने लगे थे। तीसरे मोर्चे की कवायद शुरू हो गई थी, जिसकी अगुवाई ममता बनर्जी करने लगी थीं। 7 सितंबर के बाद कांग्रेस के लिए बहुत कुछ बदल गया।
भारत जोड़ो यात्रा में प्रियंका गांधी के साथ राहुल गांधी। (Photo Credit: PTI)

राज्यवार आंकड़ों से समझिए कांग्रेस को मिला क्या?


राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 7 राज्यों में चुनाव हुए थे। गुजरात, हिमाचल, गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। गुजरात, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने से कोसों दूर रही।  

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  • यूपी विधानसभा चुनाव 2022: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 3 जनवरी को गाजियाबाद और बुलंदशहर जैसे शहरों से होते हुए गुजरी थी। असर कुछ नहीं नहीं हुआ था। वह यूपी में बड़े स्तर की यात्रा करने से बचे थे। यूपी में प्रियंका गांधी के पूरे दमखम लगाने के बाद भी 403 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 2 सीटें कांग्रेस के खाते में आईं थीं। 
    नतीजा: 2 सीट, वह भी यात्रा की वजह से नहीं।

  • गुरात विधानसभा चुनाव 2022: दिसंबर 2022 में गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 17 सीटें हासिल हुईं। साल 2017 में यह आंकड़ा 77 था। कांग्रेस की बुरी हार हुई थी। वह तब हुआ था, जब राहुल गांधी की यह यात्रा गुजरात से होकर गई थी। कांग्रेस के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ा था। 
    नतीजा: 17 सीट, यात्रा का असर नहीं

  • हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022: हिमाचल प्रदेश से होकर भी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा गुजरी थी। कांग्रेस के घोषणापत्र में कई वादे थे, जो दूसरे राज्यों से बिलकुल हटकर थे। कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की बात कही थी। रोजगार देने का वादा किया था। राहुल गांधी की यात्रा कांगड़ा तक सीमित रही थी लेकिन कांग्रेस ने सिर्फ इसी राज्य में सरकार बनाई थी।
    नतीजा: 68 विधानसभाओं वाले इस राज्य में कांग्रेस ने 40 सीटें हासिल कीं थीं। बीजेपी सिर्फ 25 सीट हासिल कर पाई थी, वहीं 3 निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे।

  • पंजाब विधानसभा चुनाव: पंजाब में 117 विधानसभा सीटें हैं। 11 दिनों तक राहुल गांधी की यहां यात्रा चली थी। विधानसभा चुनावों के जब नतीजे आए तो कांग्रेस को बड़ा झटका लगा।
    नतीजा:  कांग्रेस के खाते में सिर्फ 18 सीटें आईं। जबकि यहां कांग्रेस की सरकार थी। आम आदमी पार्टी ने 92 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली थी।

    उमर अब्दुल्ला और राहुल गांधी। (Photo Credit: INC)

    2023 के विधानसभा चुनावों पर असर

  • कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक में करीब 21 दिनों तक चली। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया राहुल गांधी के पल-पल साथ नजर आए।
    नतीजा: 224 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए 135 सीटें जीतकर कांग्रेस सत्ता में आ गई। कांग्रेस की लोकप्रियता बढ़ी थी, दक्षिण भारत का इकलौता गढ़ बीजेपी ने गंवा दिया था। 
  • मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023: राहुल गांधी की यात्रा यहां 15 दिनों तक चली थी। कमलाथ और दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज नेता राहुल गांधी के साथ चले। कांग्रेस मध्य प्रदेश में हमेशा मजबूत स्थिति में रही है। 
    नतीजा: 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने सिर्फ 66 सीटें हासिल कीं, बीजेपी ने 163 सीटें जीत ली थीं। सरकार में बीजेपी कायम है। असर नहीं हुआ। 
  • राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023: भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से भी होकर गुजरी थी। यहां करीब 18 दिन कांग्रेस की यात्रा चली थी। यात्रा में राहुल गांधी के साथ सचिन पायलट और अशोक गहलोत भी पैदल चले थे। राज्य में तब अशोक गहलोत की सरकार भी थी। 
    नतीजा: कांग्रेस ने 200 में से 69 सीटें जीतीं, बीजेपी ने 115 सीटें जीतीं।

भारत जोड़ो न्याय यात्रा

  • कब से कब तक: 14 जनवरी 2024 से 16 मार्च 2024 तक
  • कहां से कहां तक: मणिपुर से महाराष्ट्र तक। 15 राज्य। 6713 किलोमीटर की दूरी तय की।
  • मकसद: आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक न्याय को बढ़ावा देना, सामाजिक सौहार्द को मजबूत करना 
  • नतीजा: कांग्रेस देश की मुख्य विपक्षी पार्टी बनी, कांग्रेस की 99 लोकसभा सीटें आईं।

 

भारत जोड़ो न्याय यात्रा। (Photo Credit: INC/X)

असर क्या हुआ, राज्यवार आंकड़ों से समझिए  

राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का व्यापक असर हुआ। यह यात्रा 15 राज्यों से होकर गुजरी। कांग्रेस 55 सीटों से 99 सीटों पर आ गई। राहुल गांधी की छवि एक कमजोर नेता से मजबूत विपक्षी नेता की हो गई। वह लोकसभा में अब नेता विपक्ष हैं। कई योजनाओं पर उनके दबाव की वजह से सरकार को फैसले भी बदलने पड़े। मणिपुर के थोउबर से शुरू हुई यह यात्रा महाराष्ट्र में जाकर खत्म हुई थी। यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने 12 सार्वजनिक सभाओं, 100 से अधिक नुक्कड़ सभाओं और 13 प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया था। उनकी रैलियों का जमकर असर जमीन पर नजर आया था।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी को तगड़ा नुकसान हुआ था। यूपी में राहुल गांधी की न्याय यात्रा वाराणसी, प्रयागराज, अमेठी, रायबरेली, लखनऊ, बरेली, अलीगढ़ और आगरा से होकर गुजरी थी। साल 2019 में एक सीटों पर सिमटी कांग्रेस ने 80 लोकसभा सीटों में से 6 सीटें हासिल कीं। मणिपुर में यात्रा का असर हुआ कि 2 की 2 सीट कांग्रेस ने जीत ली। अरुणाचल प्रदेश में कामयाबी नहीं मिली तो मेघायल में कांग्रेस ने 1 सीट हासिल कर ली। पश्चिम बंगाल में यात्रा का कोई असर नहीं पड़ा, कांग्रेस के खाते में सिर्फ 1 सीट आई। पश्चिम बंगाल में अधीर रंजन चौधरी तक चुनाव हार गए, सिर्फ 1 सीट पार्टी के खाते में आई।

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झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में सिर्फ 2 सीटें कांग्रेस ने जीतीं। ओडिशा में 1, मध्य प्रदेश में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। मध्य प्रदेश में यह यात्रा 7 दिनों तक चली थी एक भी सीट नहीं हासिल हुई। 

राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को 8 सीटें हासिल हुईं। गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में से 1 सीट। महाराष्ट्र में राहुल गांधी को बड़ी कामयाबी मिली थी। कांग्रेस ने 13 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। 

भारत जोड़ो न्याय यात्रा में राहुल गांधी। (Photo Credit: INC)

कांग्रेस के लिए कैसे फायदेमंद हुईं हैं ये यात्राएं

कांग्रेस चुनावी लड़ाई के साथ-साथ बीजेपी के सामने 'नैरेटिव' की लड़ाई भी हार रही थी। बीजेपी के नेताओं ने कांग्रेस और राहुल गांधी को कमजोर नेता, कांग्रेस मुक्त भारत जैसे नारों से नवाजा था। यात्राओं से बेहद सधे कदमों से राहुल गांधी ने अपनी छवि बदली। अब उनकी धुर विरोधी रही पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी तक ने कहा है कि राहुल गांधी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, वह गंभीर राजनेता हैं।

स्मृति ईरानी, बीजेपी नेता और पूर्व सांसद, अमेठी:-
हमें उनके कामों के बारे में गलत तरीके से धारणा नहीं बनानी चाहिए। चाहे आप उन्हें अच्छा, बुरा या बचकाना मानें, वह एक अलग तरह की राजनीति करने में लगे हैं।

 

राहुल गांधी के 'वोट चोरी' वाले बयान के समर्थन में विपक्षी दलों के नेता संसद में प्रदर्शन कर रहे हैं। (Photo Credit: PTI)

भारत जोड़ो यात्रा से भारत जोड़ो न्याय यात्रा तक, करीब 18 चुनाव और उपचुनाव हुए हैं। कांग्रेस ने सिर्फ 4 चुनावों जीत हासिल की। हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और लोकसभा चुनाव 2024 में बेहतरीन प्रदर्शन। राहुल गांधी की छवि अचानक बदल गई। विपक्ष उन्हें हल्के नेता के तौर पर ले रहा था, अब यह तय कर रहे हैं कि विपक्ष को किस मुद्दे पर बोलना है। वोट चोरी से लेकर SIR तक, सारे मुद्दों पर शोर उन्हीं के इशारे पर मचा है। 

राहुल गांधी ने विपक्ष को भी साध लिया था। श्रीनगर में जब उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा को खत्म किया था, तब 21 दलों के नेता शामिल हुए थे। सपा और टीएमसी ने भले ही दूरी बनाई लेकिन अब उन्हीं के इशारे पर संसद में साथ दे रहे हैं। 2024 में तो सपा और कांग्रेस के मजबूत गठजोड़ ने कमाल कर दिया। 

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस को सिर्फ मुनाफा हुआ। कर्नाटक और तेलंगाना की जीत को भी यात्रा से जोड़कर देखा गया लेकिन गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की हार ने भी बड़ा संदेश दिया। कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा। राहुल गांधी मजबूत विपक्ष की आवाज बने। अब उनका ध्यान बिहार पर है।

वोटर अधिकार यात्रा में तेजस्वी यादव और राहुल गांधी। (Photo Credit: PTI)

वोटर अधिकार यात्रा

  • कब से कब तक: 17 अगस्त 2025 से 1 सितंबर 2025 तक
  • कहां से कहां तक: सासाराम से पटना तक
  • मकसद: SIR और कथित वोट चोरी के खिलाफ प्रदर्शन
  • असर: नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राष्ट्रीय जनता दल, विकास शील इंसान पार्टी, सीपीआई, सीपीआई (एमएल), सीपीआई (एम) के दल मिलकर इंडिया ब्लॉक की तरफ से राहुल गांधी की अगुवाई में वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं। 

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