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महाराष्ट्र: किसानों की मांग पूरी, नकली फूलों पर बैन, सरकार का फैसला

महाराष्ट्र में फूलों की खेती करने वाले किसान नकली फूलों की बिक्री से परेशान हैं। उनका कहना है कि लोग सजाने के लिए अब नकली फूल खरीद रहे हैं, किसानों की आजीविका पर संकट है।

Artificial Flower

महाराष्ट्र में नकली फूल पर बैन। (Photo Credit: Freepik)

महाराष्ट्र में फूलों की खेती और व्यापार करने वाले वाले किसानों और विक्रेताओं की नाराजगी के बाद अब सरकार ने नकली फूलों पर प्रतिबंध लगा दिया है। किसानों और विक्रेताओं का कहना है कि नकली फूलों की वजह से उनकी कमाई प्रभावित हो रही है, आजीविका का संकट पैदा हो रहा है। नकली फूल सस्ते में मिल जाते हैं और मेहनत करने वाला तबका पैसे के लिए तरसता रह जाता है। ये नकली फूल चीन से खरीदे जा रहे थे। महाराष्ट्र सरकार ने फूल उत्पादकों की मांग पर प्लास्टिक के फूलों के इस्तेमाल, बिक्री और वितरण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।  

बागवानी मंत्री भारत गोगावले ने बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ चर्चा के बाद यह फैसला सुनाया। यह कदम त्योहारी सीजन से ठीक पहले उठाया गया है, जिससे लोगों को लाभ मिल सके। फूल उत्पादकों का कहना है कि चीन से आने वाले सस्ते प्लास्टिक फूलों ने उनकी आजीविका को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। 

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क्यों प्रतिबंधों की मांग कर रहे थे किसान?

गुलाब उत्पादकों का कहना है कि अब शादी के मंडपों में नकली फूलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ताजा फूलों का इस्तेमाल सिर्फ पूजा-पाठ तक ही सीमित हो गया है। गेंदे जैसे दिखने वाले प्लास्टिक के फूलों ने गेंदा उत्पादकों की मांग 30 से 40 फीसदी तक घटा दिया है। 

किसानों को खेती में हो रहा था घाटा

फूल उत्पादकों का कहना है कि कई किसानों को फूलों की खेती की वजह से अब घाटा हो रहा है। उन्होने ग्रीन हाउस में अब फूल ही उगाना बंद कर दिया है। इन्हें सरकारी छूट और बैंक के कर्ज से तैयार किया गया था। 

शादियों में खूब बिकते हैं नकली फूल

फूल उत्पादकों की पॉली हाउस से अच्छी कमाई होती थी लेकिन अब इवेंट मैनेजर प्लास्टिक से सजाए गए मंडपों को पंसद कर रहे हैं। कई किसान घाटे में हैं और फूलों की खेती छोड़ रहे हैं। बीते कुछ महीनों में फूल उत्पादक संगठनों ने राज्य में प्रदर्शन भी किया और अधिकारियों को ज्ञापन भी दिए।

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किसान संगठन चाहते थे नकली फूलों पर लगे बैन 

पुणे के कई किसान संगठनों ने कृषि अधिकारियों से मुलाकात कर अपनी समस्या बताई थी। कृषि आयुक्त सूरज मंधारे से मुलाकात कर प्लास्टिक फूलों पर रोक लगाने की मांग की थी। सरकार ने पॉली हाउस और शेड-नेट खेती का प्रचार ग्रामीण स्तर पर किया था। सस्ते चीन के फूलों ने, किसानों के इस प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा है। 

असली फूलों का घटता गया बाजार 

किसानों का कहना है कि सरकार ने पॉलीहाउस और शेड-नेट खेती को बढ़ावा दिया, लेकिन सस्ते चीनी फूलों ने बाजार छीन लिया। कई देशों ने इन कृत्रिम फूलों पर प्रतिबंध लगाया है। हम सिर्फ बराबरी का मौका चाहते हैं।

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अब किसानों को लाभ क्या होगा?

छोटे किसानों ने भी प्रतिबंधों का समर्थन किया है। पुणे कृषि उपज बाजार समिति (APMC) के व्यापारियों ने इस फैसले का स्वागत किया है। एपीएमसी फूल व्यापारी संघ के प्रमुख अप्पा गायकवाड़ ने हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बातचीत में कहा, 'गणेश उत्सव से पहले यह प्रतिबंध फूल उत्पादकों के लिए कीमतें बढ़ाने में मदद करेगा। कई किसान जो घाटे की वजह से खेती छोड़ चुके थे, अब फिर से फूल उगाना शुरू करेंगे।'

नकली फूलों पर बैन के जोखिम क्या है?

नकली फूलों के बैन होने की चिंताए भी हैं। प्रतिबंध के लागू होने पर चिंताएं भी हैं। एक कृत्रिम फूल व्यापारी ने कहा, 'सभी कृत्रिम फूल प्लास्टिक के नहीं, कुछ कपड़े के भी होते हैं। इनमें 70-80 फीसदी चीन से आते हैं। ये सस्ते और दोबारा इस्तेमाल होने लायक होते हैं।'  व्यापारियों का कहना है कि सरकार की ओर से एलान किए गए इस प्रतिबंध को कौन लागू करेगा। अगर कई विभाग शामिल हुए तो हमें परेशानी हो सकती है। सरकार के सामने इसे लागू करने की चुनौती है।

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