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नोएडा स्पोर्ट्स सिटी: खोखले वादे, फंसे लोग, ED, CBI और HC में उलझा केस

बिल्डर और प्राधिकरण के अधिकारियों की कथित संलिप्तता के बाद इस प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठे हैं। नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ऑनर्स एंड मेंबर्स एसोसिएशन के वकील अनु खान ने कहा है कि यह प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।

Noida Sports City

NOIDA स्पोर्ट्स सिटी। (Photo Credit: Social Media)

नोएडा स्पोर्ट्स सिटी में आवंटन को लेकर कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG) ने हाल ही में धांधली का खुलासा किया था। रिपोर्ट में कहा गया कि इस स्कैम की वजह से नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को 9000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ऑडिट रिपोर्ट में दावा किया गया कि डेवलेपर्स को जमीन बेहद कम कीमत पर दी गई। नोएडा प्राधिकरण को दरकिनार करते हुए स्वामित्व का अनाधिकारिक तौर पर ट्रांसफर किया गया है। 

कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि नोएडा स्पोर्ट्स सिटी के लिए लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर चार्ज तक नहीं दिए गए। दावा किया गया कि यहां न तो खेलों के लिए बुनियादी ढांचे तैयार किए गए हैं, न ही ऐसी कोई सुविधाएं थीं, फिर भी 'ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट' दिए गए। यह एक प्रमाण पत्र है, जिसके बाद माना जाता है कि जिस व्यक्ति या संस्था के नाम यह पत्र जारी हुआ है, वह जमीन या जमीन पर मौजूद ढांचे का इस्तेमाल कर सकता है, इमारत रहने योग्य है।  

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एक सिटी, कितने केस?

नोएडा स्पोर्ट्स सिटी की जांच की आंच, इलाहाबाद हाई कोर्ट, सीबीआई और ईडी तक पहुंची है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि केस की जांच सीबीआई और ईडी करे। इस केस में CBI ने 3 FIR दर्ज की है। 

  • लॉजिक्स इंफ्रा डेवलेपर्स प्राइवेट लिमिटेड
  • लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड
  • जनायडु स्टेट 


आरोप क्या हैं?

  • बिल्डर और प्राधिकरण अधिकारियों के बीच गठजोड़
  • घर खरीदारों के पैसे हड़पे गए
  • खेल सिटी के बुनियादी मानकों का ख्याल नहीं रखा गया है
  • खेल से जुड़े स्थलों को तैयार ही नहीं किया गया है
  • ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में लोगों को घर तक नहीं मिले हैं
  • गोल्फ कोर्स, क्रिकेट स्टेडियम और एरेना के शानदार नजारे का वादा अधूरा रहा
  • सुनसान मैदान, झाड़ियां और खाली मकान हैं, जिसका वादा था, वह नहीं पूरा हुआ


स्थानीय लोगों का क्या कहना है?

द प्रिंट ने मौके पर पहुंचकर कुछ लोगों से बात की। ज्यादातर लोगों का कहना है कि जन प्रतिनिधियों ने वादा किया कि इस मुद्दे को सुलझा लेंगे, खरीदारों को उनका हक मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। चुनाव खत्म होने के बाद हर वादे अधूरे ही रहे। लोग घर बुकर करने के बाद भी ठगे महसूस कर रहे हैं।

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निवेशकों का दर्द क्या है?

स्पोर्ट्स सिटी को विश्वस्तरीय बनाने की बात कही गई थी। आवासीय और कॉमर्शियल परिसर में दो गोल्फ कोस्र, एक क्रिकेट स्टेडियम, ओलंपिक स्तर का स्वीमिंग पूल और स्पोर्ट्स सेंटर का वादा था, ऐसा नहीं हुआ। 


लोग क्या कह रहे हैं?

पीड़ित पक्ष, 50 साल के इतिहास में इसे नोएडा का सबसे बड़ा घोटाला बता रहे हैं। नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ऑनर्स एंड मेंबर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष  और वकील अनु खान ने कहा कि स्पोर्ट्स सिटी स्कैम, बिल्डरों, प्राधिकरण अधिकारियों की सांठगांठ की कहानी है। 


कहां उलझ गया है केस?

स्पोर्ट्स सिटी 798 एकड़ में फैला है। यहां स्टेडिया,स्पोर्ट्सवुड और गोल्फ व्यू जैसे फैंसी अपार्टमेंट का वादा किया गया। जिसका दावा किया गया, वह पूरा ही नहीं हो पाया। सुनसान झाड़िया हैं, बिखरे-टूटे पत्थर और ईंटों की भरमार है। 


दिक्कत क्या है?

20 साल पहले प्रस्तावित कार्य के बुनियादी काम अधूरे हैं। घर के मालिक अपने फ्लैट का रजिस्ट्रेशन तक नहीं करा पाए हैं। जब अधिकारियों से सवाल पूछे जाते हैं तो वे कहते हैं कि केस कोर्ट  में लंबित है।


कितने लोगों पर असर हुआ है?

32,000 से ज्यादा लोगों ने यहां घर खरीदे हैं लेकिन उन्हें मिल नहीं पाया है। कुछ फ्लैट मालिक इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे हैं, नोएडा प्राधिकरण से घरों के अधिग्रहण की मांग की गई है। खरीदारों को उनके घरों का कब्जा नहीं मिला है। लोग ठगा महसूस कर रहे हैं।


क्या है नोएडा स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट?

साल 2004 में करीब 25 साल पहले, नोएडा प्राधिकरण ने राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी करने का फैसला किया। भारत में ओलंपिक तक कराने का भी दावा किया गया। यह परियोजना बेहद धीमी गति से पूरी हो पाई। साल 2010 में प्राधिकरण ने आरक्षित मूल्य तय किया, बिल्डर और डेवलेपर्स बोली लगाने लगे। दावा किया गया कि इसका 70 फीसदी हिस्सा स्पोर्ट्स सेंटर होगा। लोगों ने महंगे दाम में खरीद लिया।  CAG की रिपोर्ट बताती है कि सरकारी खजाने को इस प्रोजेक्ट से 9,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 


हाई कोर्ट ने क्या कहा है?

  • जिन बिल्डरों ने सब्सिडी वाली जमीनों की बोली जीती थी, उनका इरादा ही निर्माण का नहीं था
  • आवंटीत जमीन को दूसरे बिल्डरों को सब लीज पर दे दिया गया
  • पूरे प्रोजेक्ट में लापरवाही हुई है


कोर्ट केस पर एक नजर

24 फरवरी को नोएडा में स्पोर्ट्स सिटी की तीन परियोजनाओं के संबंध में 10 अलग-अलग फैसले सुनाए। डेवलेपर्स के खिलाफ सीबीआई और ईडी जांच के आदेश दिए गए हैं। बिल्डरों का कहना है कि उन्हें पूरी जमीन ही नहीं दी गई है। कोर्ट ने बिल्डरों को फटकार लगाई है। 

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