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बड़हरिया विधानसभा: बच्चा पांडेय जीतेंगे या NDA पलटेगी बाजी?

बड़हरिया से राष्ट्रीय जनता दल के बच्चा पांडेय विधायक हैं। इस विधानसभा का इतिहास क्या है, मुद्दे क्या हैं, चुनौतियां क्या हैं, आइए समझते हैं।

Barharia Vidhan Sabha

बड़हरिया विधानसभा। (Photo Credit: Khabargaon)

बड़हरिया विधानसभा, सिवान की 6 विधानसभा सीटों में से एक है। विधानसभा की सीट संख्या 110 है। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 273093 है, वहीं 256404 महिला मतदाता है। थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 9 है। कुल मतदाताओं की संख्या 529497 है। यह बिहार की ग्रामीण विधानसभाओं में से एक है। यहां की ज्यादातर आबादी कृषक है। कमाने के लिए एक बड़ी आबादी बाहर रहती है। बड़हरिया विधानसभा का ज्यादातर क्षेत्र गंगा के उपजाऊ मैदानों में बसा है। यहां के किसान खेतों में धान, गेहूं, दाल और गन्ना उगाते हैं। अब तक यहां 11 चुनाव हो चुके हैं।

गंडक नदी की सहायक नदियां इस क्षेत्र को और उपजाऊ बनाती हैं। यहां खेती के साथ-साथ व्यापार पर भी एक बड़ी आबादी निर्भर है। बड़हरिया से सिवान की दूरी सिर्फ 15 किलोमीटर है। बिहार के प्रमुख शहर गोपालगंज से दूरी 40 किलोमीटर है और छपरा से 50 किलोमीटर है। यहां से यूपी का शहर देवरिया 70 किलोमीटर की दूरी है। पटना से बड़हरिया की दूरी 150 किलोमीटर है। कई शहरों से नजदीकी की वजह से यहां की आर्थिक स्थिति, दूसरी विधानसभाओं की तुलना में ज्यादा बेहतर है। 

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मुद्दे क्या हैं?

बड़हरिया में पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार बड़ा मुद्दा है। लोगों को इलाज के लिए अब भी शहर के मुख्यालय सिवान जाना पड़ता है। पलायन यहां का बड़ा मुद्दा है। बड़ी संख्या आसपास के शहरों में काम करती है। बड़ी आबादी दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में काम करती है। उद्योग-धंधों की कमी है। 

यहां खेती होती है लेकिन कई इलाके हैं, जहां तक पानी पहुंचाना चुनौती है। कई इलाके हैं जो बाढ़ग्रस्त हैं। किसान अपनी फसलों की कम कीमत मिलने का दावा कई बार कर चुके हैं। युवाओं के लिए स्थानीय रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिसकी वजह से प्रवास आम है। जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा भी चुनावों में उठता है।

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कैसे हैं सामाजिक समीकरण?

बड़हरिया में करीब 24.7 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं, वहीं अनूसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 11.78 फीसदी है। जातीय समीकरण चुनावों में हावी रहते हैं। यादव, मुस्लिम, और दलित समुदाय यहां के प्रमुख वोटबैंक हैं, जो हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 

2020 का चुनाव कैसा था? 

बड़हरिया विधानसभा से आरजेडी के बच्चा पांडेय विधायक हैं। साल 2020 के चुनाव में उन्हें कुल 71,793 वोट पड़े थे। दूसरे नंबर पर जेडीयू के श्याम बहादुर सिंह रहे, जिन्हें 68,234 मत हासिल हुए। तीरे नंबर पर बीर बहादुर सिंह रहे, जिन्हें सिर्फ 5065 वोट पड़े। 2015 के चुनाव में जेडूयी के श्याम बहादुर सिंह जीते थे। तब बच्चा पांडेय लोजपा में थे। श्याम बहादुर सिंह को 65,168 वोट मिले थे, वहीं बच्चा पांडेय को 50,585 पड़े थे।  

 

अब क्या समीकरण बन रहे हैं? 

2024 के लोकसभा चुनाव में बड़हरिया की सियासी हवा बदली। लोजपा के एनडीए में वापसी से जेडीयू ने फिर जोर पकड़ा और सिवान की छह में से पांच विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई। बड़हरिया में आरजेडी तीसरे स्थान पर खिसक गया। स्वतंत्र उम्मीदवार हेना साहब (पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी) ने मजबूत प्रदर्शन किया। 2025 के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की एंट्री से नया मोड़ आ सकता है। यह पार्टी दोनों प्रमुख गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन के वोट काट सकती है। अब एक बार फिर बच्चा पांडेय पर इंडिया ब्लॉक भरोसा जता सकता है। 

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विधायक का परिचय

बच्चा पांडे, आरजेडी के चर्चित नेताओं में से एक हैं। उनका जन्म 25 मार्च 1971 को दरौली में हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई दरौली से हुई है। उन्होंने 1986 में द्रोणाचार्य हाई स्कूल पढ़ाई की थी। वह पेशे से ठेकेदार रहे, फिर राजनीति में उतरे। उनकी कुल संपत्ति 4 करोड़ से ज्यादा है। 1 करोड़ से ज्यादा कर्ज है। लालू परिवार के करीबी नेताओं में उनकी गिनती होती है। टीम तेजस्वी में भी वह शामिल रहे हैं।

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सीट का इतिहास

यह सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रहा, तो कभी वामपंथ और कभी जनसंघ का। 2020 में आरजेडी ने बाजी मारी लेकिन अब समीकरण बदल रहे हैं। बड़हरिया का सियासी इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। 1951 में स्थापित यह सीट 1972 के बाद तीन दशकों तक गायब रही। 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट फिर अस्तित्व में आई। 1951 से 1957 तक कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन उसके बाद समीकरण बदला। सीपीआई, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, और जनसंघ ने यहां जीत दर्ज की। 2010 में जब दशकों बाद चुनाव हुए तो जेडूयी ने 2010 और 2015 में जीत हासिल की। 2020 में आरजेडी ने बाजी मारी लेकिन अब नए समीकरण बन रहे हैं।  

  • विधानसभा चुनाव 1952: सगीरुल हक, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1952: बीपी सिंह, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1957: कमरुल हक, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1962: राम राज सिंह, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
  • विधानसभा चुनाव 1967: अब्दुल जलील, CPI
  • विधानसभा चुनाव 1969: राम राज सिंह, भारतीय जनसंघ
  • विधानसभा चुनाव 1972: अब्दुल जलील , CPI 
  • (1977-2010: विधानसभा अस्तित्व में नहीं था)
  • विधानसभा चुनाव 2010: श्याम बहादुर सिंह, JDU
  • विधानसभा चुनाव 2015: श्याम बहादुर सिंह, JDU
  • विधानसभा चुनाव 2020: बच्चा पांडे, RJD

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