मूवी रिव्यू: अच्छी या बुरी कैसी है आमिर खान की फिल्म 'सितारे जमीन पर?'
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• NEW DELHI 20 Jun 2025, (अपडेटेड 20 Jun 2025, 9:51 AM IST)
आमिर खान की फिल्म 'सितारे जमीन पर' रिलीज हो गई है। फिल्म कैसी है, कहानी क्या है, कमियां क्या हैं, सब कुछ जानिए, खबरगांव के मूवी रिव्यू में।

सितारे जमीन पर फिल्म का एक सीन। (Photo Credit: Aamir Khan Talkies/YT)
आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'सितारे जमीन पर' रिलीज हो गई है। आमिर खान, समानांतर सिनेमा के साथ-साथ लीक से हटकर फिल्में करने के लिए जाने जाते हैं, भले ही वे रिमेक ही क्यों न हों। उन्होंने एक बार फिर कुछ इसी तरह की फिल्म चुनी है। यह फिल्म साल 2018 में आई सुपरहिट स्पेनिश फिल्म चैंपियंस की आधारिक रिमेक है। साल 2007 में आमिर खान ने 'तारे जमीन पर' बनाई थी, यह फिल्म, उस फिल्म का सीक्वेल नहीं है। सितारे जमीन पर 'इंटेलेक्चुअल डिसएबिलिटीज' से जूझ रहे लोगों की कहानी है, जो स्पोर्ट्स की दुनिया में जब कदम रखते हैं तो कमाल कर देते हैं।
फिल्म को हॉलीवुड फिल्म की कॉपी कहा गया गया, नकल बताया गया लेकिन आमिर खान ने उस सब्जेक्ट को छूने की कोशिश की है, आमतौर पर उनके जितना स्टारडम वाला कोई दूसरा अभिनेता इस विषय को नहीं टच करता। आलोचकों का कहना था कि फिल्म का विषय ऐसा है, जिसे देखने लोग थिएटर में जाना पसंद नहीं करेंगे। फिल्म की कहानी अच्छी है, ऐसे में यह बात गलत भी हो सकती है।
'सितारे जमीन पर' की कहानी क्या है?
आमिर खान इस फिल्म में एक घमंडी बॉस्केटबॉल कोच बने हैं। फिल्म में उनके किरदार का नाम गुलशन अरोड़ा है। गुलशन सनकी होता है। वह गुस्से में अपने सीनियर तक को पीट डालता है, जिसके बाद उसे सस्पेंड कर दिय जाता है। इसके गम में वह नशा करता है और पुलिस की वैन को टक्कर मार देता है। उसे कोर्ट से सजा मिलती है। 3 महीने तक उसे 'दिव्यांग' लोगों की एक टीम को बॉस्केटबॉल सिखाने के लिए कम्युनिटी सर्विस पनिशमेंट दी जाती है। जिन्हें गुलशन ट्रेनिंग देने जाता है, वे 'डाउन सिंड्रोम' से जूझ रहे होते हैं।
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पहले तो गुलशन को इस पनिशमेंट पर खीझ आती है, हरदम खुद को और लोगों को कोसता रहता है लेकिन धीरे-धीरे वह इन लोगों के करीब आ जाता है। ये डिफ्रेंटली एबल्ड लोग, गुलशन को जिंदगी का असली मकसद सिखाते हैं। फिल्म की कहानी काफी उतार-चढ़ाव भरी है। फिल्म में आमिर रोते, कॉमेडी करते और चीखते नजर आते हैं। सहायक किरदारों की भूमिका बेमिसाल है, वे सच में डाउन सिंड्रोम से जूझते नजर आए हैं।

फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है दिव्य निधि शर्मा ने। कहानी ऐसी बुनी है कि कहीं भी आपको इन दिव्यांग किरदारों से सहानुभूति नहीं होगी, बेहद सरल तरीके से फिल्म ने अपना संदेश लोगो तक पहुंचा दिया है। निधि ने दिखाया है कि ये किरदार उतने ही सामान्य हैं, जितने हम और आप, लेकिन उनसे सामान्य की परिभाषा आदमी से अलग है। एक किरदार फिल्म में सिगरेट खूब पीता है, उसका टशन होता है कि वह औरों से अलग है लेकिन उसे सहानुभूति नहीं चाहिए, वह अपने पैरों पर खड़ा है।
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फिल्म कैसी बनी है?
इंटरवेल से पहले यह फिल्म थोड़ी धीमी कही जा सकती है। कुछ लोगों को कई सीन बोरिंग लग सकते हैं। फिल्म का विषय बेहद संवेदनशील है, हो सकता है कि आमिर की मसाला फिल्मों की तलाश में गए लोगों को निराशा हाथ लगे। यह अजय, अक्षय, ऋतिक या सलमान की मसाला फिल्मों से बिलकुल अलग फिल्म है, इसलिए फिल्म की ऑडियंस भी अलग है।
फिल्म के एक सीन में गुलशन अपनी नई जिम्मेदारी से नाखुश नजर आता है, उसकी टीम उसे समझाती है। गुलशन की पत्नी बनी हैं जेनेलिया डिसूजा। उनके किरदार का नाम सुनीता है। दोनों की शादी थोड़ी उतार-चढ़ाव वाली है। इन सब सीन का उलझना फिल्म को थोड़ा स्लो करता है, इंटरवल तक हो सकता है कि यह फिल्म थोड़ी आपको निराश करे।
इंटरवल के बाद अचानक आमिर खान अपने लय में लौटते हैं। शानदार एक्टिंग हैं। फिल्म देखकर आपको हंसी आएगी, कॉमेडी टाइमिंग आमिर की कमाल की है। वह इमोशनल होते हैं तो लोग तालियां बजाने लगते हैं। बृजेंद्र काला फिल्म में जब-आए हैं, तालियां बजी हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग शानदार नजर आई है। आप हंसते-हंसते लोट-पोट हो जाएंगे।
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आमिर खान फिल्म में सहज नजर आए हैं। जेनेलिया ने भी अच्छी एक्टिंग की है। दोनों के इमोशनल ट्रॉमा को ज्यादा देर नहीं दिखाया है। डॉली अहलूवालिया और बृजेंद्र काला का रोल और बड़ा होना चाहिए था। दोनों ने बेहद कम वक्त में ही स्क्रीन पर दमदार अदाकारी की है।

किन सितारों पर टिकी है फिल्म?
फिल्म में असली जान डालने वाले सितारे आशीष पेंडसे, आरुष दत्ता, आयुष भंसाली, ऋषि शाहनी, गोपीकृष्णन के वर्मा, ऋषभ जैन, वेदांत शर्मा, सिमरन मंगेशकर, समवित देसाई, और नमन मिश्रा हैं। इन किरदारों की एक्टिंग ऐसी है, जिसे देखकर आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि ये लोग डाउन सिंड्रोम से पीड़ित नहीं हैं।
गाने कैसे हैं?
शंकर-एहसान-लॉय ने फिल्म का म्युजिक दिया है। फिल्म में 4 गाने हैं। गुड फॉर नथिंग, सर आंखों पर, सितारे जमीन पर और शुभ मंगलम। 'तारे जमीन पर' म्युजिकल हिट फिल्म थी, इस फिल्म का यह पक्ष कमजोर है। एक भी गाना ऐसा नहीं है जिसे आप थिएटर के बाहर याद रख सकते हैं। अमिताभ भट्टाचार्यय कोई छाप नहीं छोड़ पाए हैं।

क्यों देखें?
अगर आप इमोशनल हैं, संवेदनशील कहानियां आपको छूती हैं, आमिर खान के फैन हैं, डिफ्रेंटली एबल्ड लोगों को समझना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए हंसी, आंसू और तालियों के खजाने से कम नहीं है।
क्यों न देखें?
अगर आप टिपिकल बॉलीवुड मासाला फिल्मों को पसंद करती हैं।

चैंपियंस से कितनी अलग है आमिर के यह फिल्म?
साल 2018 में स्पेनिश सिनेमा की एक फिल्म सुर्खियों में रही थी चैंपियंस। सितारे जमीन पर, इसी फिल्म की आधिकारिक रिमेक है। सीन-दर-सीन आमिर खान ने इस फिल्म को कॉपी किया है। दिलचस्प बात इतनी सी ही है कि वह वुडी हार्लेसन से ज्यादा अच्छी एक्टिंग करते नजर आए हैं।
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