अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर दिए गए संघर्ष विराम वाले बयान को एक बार फिर भारत ने खारिज किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो कुछ भी हुआ, दो देशों का अपना फैसला था, किसी तीसरे की दखल नहीं थी। डोनाल्ड ट्रम्प, वैश्विक मंचों से बार-बार भारत और पाकिस्तान का तनाव कम कराने का क्रेडिट लेते हैं। उनके दावों का एक बार फिर भारत ने खंडन किया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर वॉशिंगटन में हैं। उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प की 'मध्यस्थता' पर जवाब देते हुए जो कहा है, वही भारत का असली रुख है। उन्होंने कहा, 'तब क्या हुआ था, इसका रिकॉर्ड है। संघर्ष विराम भारत और पाकिस्तान के बीच DGMO स्तर की बातचीत का नतीजा है। यह दो देशों के बीच हुआ है।' उन्होंने ट्रम्प की दखल वाले दावे को खारिज किया है।
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ट्रम्प कितनी बार कर चुके हैं जंग रोकने का दावा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए सीजफायर को लेकर कई बयान दिए। उन्होंने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता और व्यापारिक दबाव के कारण दोनों देशों ने संघर्षविराम पर सहमति जताई। 10 मई 2025 को ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि अमेरिका की मध्यस्थता में लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव परमाणु युद्ध के करीब पहुंच गया था और उनकी कूटनीति ने इसे पूरी तरह से रोकने में कामयाब रही।
ट्रम्प ने 13 मई को कहा कि उन्होंने व्यापार रोकने की धमकी देकर सीजफायर करवाया। दोनों देशों से कहा कि युद्ध के बजाय व्यापार करें। 15 मई को कतर के दोहा में भी उन्होंने ऐसे ही बयान दिए। 17 मई को फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में उन्होंने फिर दावा किया कि तनाव इतना बढ़ गया था कि परमाणु युद्ध को उन्होंने रोक दिया।
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25 जून 2025 को हेग में नाटो समिट के दौरान ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को व्यापार और युद्ध के बीच विकल्प दिया, जिसके बाद तनाव कम हुआ। उन्होंने बार-बार दावा किया कि उनके फोन कॉल और व्यापारिक सौदों की धमकी से दोनों देश शांति समझौते के लिए तैयार हुए।
भारत का क्या रुख है?
भारत ने ट्रम्प के मध्यस्थता के दावों का बार-बार खंडन किया। विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया कि सीजफायर दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच द्विपक्षीय बातचीत से हुआ, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।
कैसी रहा जयशंकर का विदेश दौरा?
अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेग्सेथ ने बुधवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ हुई बैठक के लिए उनका धन्यवाद दिया। यह बैठक मंगलवार को क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। हेग्सेथ ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं, क्योंकि उनके हित और जिम्मेदारियां अब और करीब आ रही हैं।
अमेरिका ने तारीफ क्यों की?
हेग्सेथ ने एक्स पर लिखा, 'कल भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ शानदार बैठक हुई। अमेरिका-भारत संबंधों, खासकर हमारी रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए धन्यवाद। मैं दोनों लोकतांत्रिक देशों के सहयोग को सलाम करता हूं, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित और खुला रखने में मदद कर रहा है।'
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भारत-अमेरिका डिफेंस डील पर चल रही है बात
अमेरिका ने कहा कि वह जल्द ही भारत के साथ कई महत्वपूर्ण रक्षा सौदों को अंतिम रूप देना चाहता है। दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को समझते हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया कि हेग्सेथ का मानना है कि दोनों देश इन खतरों का मिलकर सामना कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका भारत को इन चुनौतियों से निपटने के लिए सही उपकरण देने में मदद कर रहा है।
रक्षा सौदों पर हेग्सेथ का बयान
अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि अमेरिका जल्द ही भारत के साथ कई बड़े रक्षा सौदों को पूरा करना चाहता है। उन्होंने रक्षा विनिर्माण में संयुक्त काम को बढ़ाने, दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल सुधारने और रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए 10 साल के नए समझौते पर हस्ताक्षर करने की योजना का भी जिक्र किया।
अमेरिका से रिश्तों पर एस जशंकर न क्या कहा?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, 'भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी अब उनके रिश्ते का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह साझेदारी केवल साझा हितों पर ही नहीं, बल्कि दोनों देशों की बढ़ती क्षमताओं और जिम्मेदारियों पर निर्भर है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए भी जरूरी है।