पुतिन जीते, जेलेंस्की की हार? अलास्का में हुई अधूरी डील की कहानी
दुनिया
• UNALASKA 17 Aug 2025, (अपडेटेड 17 Aug 2025, 8:01 AM IST)
अलास्का में हुई डोनाल्ड ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात को लोग रूस की जीत के तौर पर देख रहे हैं। ऐसा क्यों कह रहे हैं, आइए समझते हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की। (Photo Credit: Volodymyr Zelenskyy)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर की मुलाकात अभी अधूरी है। न तो यूक्रेन में संघर्ष विराम की सहमति बन पाई, न ही व्लादिमीर पुतिन, हमला रोकने के लिए तैयार हुए। डोनाल्ड ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात में रूस के लिए सबसे बड़ा फायदा भी अब दुनिया को पता चल गया है। रूस को अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट के लिए वक्त चाहिए था। वह व्लादिमीर पुतिन हासिल करने में कामयाब रहे हैं।
रूस अब यूक्रेन से जंग जल्दी जीतना चाहता है। यूक्रेन में अक्तूबर के बाद हालात बेहद खराब हो जाते हैं। मौसम संबंधी मुश्किलें बढ़ जाती हैं, सैनिकों का वहां टिकना मुश्किल हो जाता है। अक्टूबर के बाद मौसम खराब होने से लड़ाई मुश्किल हो जाएगी। रूस की सेना पूर्वी यूक्रेन में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। अब व्लादिमीर पुतिन चाहते हैं कि यह बढ़त रणनीतिक जीत में बदल जाए।
पुराने दुश्मन, बन रहे हैं दोस्त
डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस पर तेल और गैस खरीदने वालों के खिलाफ सेकेंडरी सैंक्शन्स की धमकी दी थी। मतलब, वह और ज्यादा प्रतिबंध लादने वाले थे। रूस के लिए व्यापार और मुश्किल होने वाला था। दिलचस्प बात यह है कि पुतिन के लिए रेड कार्पेट बिछाने वाले डोनाल्ड ट्रम्प ने उनसे दोस्ती दिखाई और अपने इस फैसले को लागू ही नहीं किया।
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कैसे अलास्का आने के लिए तैयार हुए पुतिन?
व्लादिमीर पुतिन को दुनिया अड़ियल नेता के तौर पर जानती है। उनके विपक्षी दलों के नेता रूस में नहीं टिकने पाए। वह अपने दुश्मनों पर अंकुश लगाने के लिए जाने जाते हैं। एक तरफ पूरी दुनिया के प्रतिबंधों को झेलने के बाद भी रूस ने यूक्रेन पर हमले नहीं रोके हैं, दूसरी तरफ वह ट्रम्प के साथ नरमी से पेश आए हैं।
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वजह यह है कि भारत और चीन जैसे बड़े देशों के साथ उनका बड़ा व्यापार है। डोनाल्ड ट्रम्प के प्रतिबंध अगर अभी से लागू होते तो रूस का व्यापार घाटा और बढ़ता। रूस पहले से ही जंग में उलझा हुआ है। अब अमेरिका से मोहलत लेकर व्लादिमीर पुतिन युद्ध जल्दी खत्म नहीं करना चाहते, क्योंकि इससे उनकी सेना नाराज हो सकती है।
निराश दिखे ट्रम्प, पुतिन के हक में फैसला
अलास्का में कोई बड़ा समझौता नहीं हुआ। यूक्रेन को भी अपमानजनक समझौते से अभी छुट्टी मिली है। ऐसा इसलिए क्योंकि रूस, किसी भी हाल में जो हिस्से उसके कब्जे में हैं, उन्हें छोड़ने वाला नहीं है। मुलाकता में व्लादिमीर पुतिन ने यह इशारा भी किया है। दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की बार-बार कह रहे हैं कि रूस उनके देश में युद्ध अपराध कर रहा है, लोगों की हत्याएं की जा रही हैं, जंग रोक दी जाए। एक दिन में जंग रुकवाने का दावा करने वाले डोनाल्ड ट्रम्प, अब तक जंग नहीं रुकवा सके हैं।
यूक्रेन को रूस ने बताया 'ब्रदर नेशन'
रूस और यूक्रेन की जड़ें एक रही हैं। व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन को 'ब्रदर नेशन' भी कहा है। उन्होंने अपने एक इतिहास की बातें भी दोहराई हैं लेकिन समझौता नहीं किया। डोनाल्ड ट्रम्प के लिए भी यह झटका की तरह है। वह यूक्रेन में निवेश बढ़ाना चाहते हैं, वहां के 35 से ज्यादा दुर्लभ खनिजों पर उनकी नजर है। व्लादिमीर पुतिन, अपने फैसले पर अडिग हैं।
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यूक्रेन के लिए राहत की बात क्या है
यूक्रेन के लिए दो अच्छी बातें हुईं। पहला, डोनाल्ड ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन ने जल्दबाजी में कोई समझौता नहीं किया। अगर फैसला होता तो यह रूस के पक्ष में हो सकता था। दूसरा, व्लादिमीर पुतिन की जिद दुनिया ने देख ली है। सारी संवेदनाएं यूक्रेन के साथ हैं। डोनाल्ड ट्रम्प अब सीजफायर की मांग से ज्यादा जल्दी शांति समझौते की बात कर रहे हैं।

क्या यह राह आसान है?
अभी के हालात पर गौर करें तो नहीं। व्लादिमीर पुतिन ने डोनबास क्षेत्र पर पूरी तरह कब्जे की मांग की है। यूक्रेन इस दबाव पर कभी तैयार नहीं होगा। यूक्रेन दोबारा अपनी जमीन धीरे-धीरे वापस हासिल करना चाहता है। यूक्रेनी तोपे वहां मंडरा रही हैं। व्लादिमरी पुतिन डरते नहीं हैं। वह भी धीरे-धीरे कब्जा का दायरा बढ़ाना चाहते हैं। अलग बात है कि वैश्विक दबावों में उनकी अर्थव्यवस्था ज्यादा दिन युद्ध नहीं झेल सकती।
जेलेंस्की से कब मिलेंगे डोनाल्ड ट्रम्प?
अलास्का में 15 अगस्त को पुतिन और ट्रम्प की मुलाकात तो हो गई, अब जेलेंस्की से मुलाकात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। यूरोपीय नेता ट्रम्प पर दबाव डाल रहे हैं कि वे यूक्रेन का साथ दें। पुतिन को युद्ध में फायदा नजर आ रहा है। उनके देश का कब्जा यूक्रेन पर बढ़ रहा है। पुतिन बातचीत में देरी करके युद्ध में आगे बढ़ना चाहते हैं। ट्रंम्प जल्दी नतीजे चाहते हैं, जबकि जेलेंस्की एक-एक करके अपने रणनीतिक क्षेत्रों को गंवा रहे हैं।
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