बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को कोर्ट की अवमानना मामले में 6 महीने की कैद की सजा सुनाई गई है। एक इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने बुधवार को यह सजा सुनाई है। यह सजा ICT की तीन सदस्यीय टीम ने सुनाई है। जस्टिस एमडी गुलाम मुर्तजा मजूमदार इस ट्रिब्यूनल की अगुवाई कर रहे थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने शकील अकंद बुलबुल को भी 2 महीने की जेल की सजा सुनाई है। 6 अगस्त 2024 में शेख हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत आई थीं। अब वहां सत्ता बदल गई है। वहां की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस हैं, जो बार-बार शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग कर रहे हैं।
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ICT ने शेख हसीना पर क्या आरोप लगाए हैं?
इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल के जजों का फैसला है कि शेख हसीना मानवता के खिलाफ अपराधों में शामिल रही हैं। जब पूरे देश में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे, तब जुलाई में उन्होंने लोगों की हत्या के आदेश दिए थे। स्थानीय मीडिया ने कहा था कि इन आदेशों को प्रधानमंत्री की ओर से जारी किया गया है।
ढाका ट्रिब्यून की ओर रिपोर्ट में कहा गया है कि शेख हसीना के खिलाफ चीफ प्रॉसीक्यूटर मोहम्मद ताजुल इस्लाम और उनकी टीम ने सबूत पेश किए थे। शेख हसीना पर आरोप लगाए गए हैं कि बांग्लादेश में हिंसा भड़काने के आदेश भी उन्हीं की तरफ से आए थे। जुलाई से अगस्त 2024 के बीच बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ था, वह शेख हसीना के आदेशों की वजह से हुआ था।
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शेख हसीना के खिलाफ केस क्या हैं?
शेख हसीना और शकील अकंद बुलबुल का एक कथित ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वायरल ऑडियो के आधार पर अक्तूबर में शेख हसीना के खिलाफ बीते साल केस दर्ज हुआ था। कोर्ट ने माना कि यह आवाज शेख हसीना की ही थी। शेख हसीना ऑडियो में दावा किया जा रहा है कि वह कह रही हैं, '227 केस मेरे खिलाफ दर्ज हैं, इसलिए मैंने अब 227 लोगों को मारने का लाइसेंस हासिल कर लिया है।'
अवमानना के आरोप क्यों लगे?
कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अभियोजन पक्ष ने कहा कि यह बयान उनका कोर्ट की अवमानना है। कोर्ट ने कहा कि बीते साल भड़के दंगों के पीछे शेख हसीना का रुख ही जिम्मेदार है, जिसकी वजह से उन्हें देश छोड़ना पड़ा। यह पहली बार है जब आवामी लीग के मुखिया को किसी केस में सजा मिली है। वह 11 महीनों से अपने देश से विस्थापित हैं, भारत में हैं।
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5 अगस्त को क्या हुआ था?
शेख हसीना के खिलाफ स्टूडेंट अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) ने एक देशव्यापी प्रदर्शन किया था। इसे क्रांति का नाम दिया गया था। प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री आवास तक घुस आए थे। अगर शेख हसीना, आनन-फानन में अपने हेलीकॉप्टर पर सवार होकर भारत नहीं आतीं तो उनके साथ कुछ अनहोनी हो सकती थी। उन्होंने 5 अगस्त को ही देश छोड़ दिया था। अब बांग्लादेश की कई अदालतों में उनके खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं।