Explained: मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर हंगामे की पूरी कहानी
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• NEW DELHI 18 Feb 2025, (अपडेटेड 18 Feb 2025, 1:35 PM IST)
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार होंगे। उनकी नियुक्ति पर कांग्रेस को ऐतराज है। मुख्य चुनाव आयुक्त पर हंगामे की पूरी कहानी क्या है, समझिए पूरी बात।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ज्ञानेश कुमार और राहुल गांधी। (Photo Credit: PTI)
18 फरवरी को देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह ज्ञानेश कुमार देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने ज्ञानेश कुमार के नाम को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा, जिसके बाद राष्ट्रपति ने यह नियुक्ति की है।
मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया है, जबकि 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका की सुनवाई होनी है, जिसमें नए कानून की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए हैं। ज्ञानेश कुमार नए कानून के तहत नियुक्ति होने वाले पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं।
कैसे चुने जाते थे मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त?
चुनाव आयोग में 3 प्रमुख अधिकारी होते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त। संसदीय तौर पर चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के संबंध में कोई अलग से कानून नहीं बनाया गया था। राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री सलाह देते थे, जिसके बाद चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाती थी।
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अब तक ऐसी परंपरा रही है कि मुख्य चुनाव आयुक्तों में जो भी सबसे वरिष्ठ होता था, उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त बना दिया जाता था। नियुक्ति की प्रक्रिया केंद्र सरकार के हाथों में रहती थी। वरिष्ठता का क्रम, नियुक्ति की तिथि के आधार पर तय होता था, न कि उम्र के आधार पर।
सचिव स्तर के मौजूदा या रिटायर हो चुके अधिकारियों की एक लिस्ट तैयार होती थी, जिस पर प्रधानमंत्री विचार करते थे। वह अधिकारियों के पैनल से चर्चा करते, सूची में एक नाम चुना जाता और राष्ट्रपति के पास इसे मंजूरी के लिए भेजा जाता। यह सूची में एक नाम चुना जाता था, जिसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाता था। राष्ट्रपति के पास भेजे गए प्रस्ताव में यह भी बताया जाता था कि क्यों उसे चुनाव आयुक्त चुना गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल का होता है। अगर उम्र 65 साल पार हो जाए यह अवधि कम हो सकती थी।
किस आधार पर हुई है मौजूदा नियुक्ति?
देश के मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं। चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू हैं। ज्ञानेश कुमार संधू और सुखबूर सिंह संधू दोनों चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक ही दिन 14 मार्च को हुई थी। दोनों साल 1988 बैच के IAS अधिकारी हैं। ज्ञानेश कुमार का नाम राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए पहले भेजा गया था। इसलिए ही उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया गया।
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नियुक्ति किस कानून के आधार पर हुई?
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब एक संसद के बनाए एक कानून के तहत होती है। इस अधिनियम का नाम 'चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड अदर इलेक्शन कमिश्नर (अपॉइंटमेंट, कंडीशन एंड टर्म ऑफ ऑफिस) एक्ट 2023' के तहत होता है। यह कानून मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया तय करता है।
अधनियम के तहत चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने के लिए दो समितियां होती हैं। एक समिति की अध्यक्षता कानून मंत्री करते हैं, दूसरे समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री। कानून मंत्री और उनकी समिति में भारत सरकार के 2 सचिव स्तर के सीनियर अधिकारी शामिल होते हैं। वे 5 नामों की तैयार करते हैं। उन नामों को चयन समिति के पास भेजा जाता है। चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक केंद्रीय मंत्री होते हैं।
मौजूदा चयन समिति में कौन-कौन शामिल, ऐतराज क्यों?
चयन समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हैं। कमेटी की बैठक सोमवार शाम को प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई थी। यहीं ज्ञानेश कुमार के नाम पर सहमति बनी।
नए कानून में खास क्या है?
नए कानून में एक धारा 8 है। यह धारा समिति को अधिकार देती है कि समिति उस नाम को भी चुन सकती है, जिसे शॉर्ट लिस्ट नहीं किया गया है। मार्च 2024 में इसी प्रावधान के जरिए ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू की नियुक्ति हुई थी।
क्या हुआ, जब समिति के सामने आए नाम?
मुख्य चुनाव आयुक्त और 2 चुनाव आयुक्तों के लिए 5-5 नाम भेजे गए थे। चयन समिति के सदस्यों के सामने नाम रखे गए। 30 मिनट की बैठक में राहुल गांधी ने नाम पर असहमति जताई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक याचिका लंबित है। जब याचिका पर फैसला न आ जाए, नियुक्ति न की जाए। उन्होंने सरकार से नियुक्ति में जल्दबाजी करने को लेकर सवाल उठाए हैं।
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'चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड अदर इलेक्शन कमिश्नर (अपॉइंटमेंट, कंडीशन एंड टर्म ऑफ ऑफिस) एक्ट 2023' की धारा 5 कहती है, 'मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति उन लोगों में से किया जाएगा जो भारत सरकार में सचिव स्तर के पद पर हैं या संभाल चुके हैं, जिनके पास चुनाव कराने का अनुभव है।' अधनियम में यह भी कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति दोबारा नहीं होगी। किसी का भी कार्यकाल 6 साल से ज्यादा नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट के सुझाव से नियम में बदलाव तक, विवाद की अहम बातें समझिए-
साल 2015 से 2022 के बीच चुनाव आयोग में नियुक्तियों को लेकर केंद्र के बढ़ते कथित दखल पर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं। दलील दी गई कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में केंद्र सरकार ज्यादा प्रभावी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद यह कहा कि संविधान निर्माताओं ने यह कभी नहीं जाहिर किया कि कार्यपालिका का नियुक्ति में विशेषाधिकार हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसके बुरे परिणाम हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को दिए गए एक फैसले में विधायिका, कार्यपालिका का और न्यायपालिका तीनों को समन्यवयन की बात कही थी। दरअसल कोर्ट के फैसले में था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्ति की नियुक्ति में प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे, जब तक संसद इस पर कानून नहीं बना देती है।
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किसी नियुक्ति के लिए जगह खाली हो, उससे पहले ही केंद्र सरकार संसद में बिल लेकर गई। दिसंबर 2023 में 'चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड अदर इलेक्शन कमिश्नर (अपॉइंटमेंट, कंडीशन एंड टर्म ऑफ ऑफिस) एक्ट 2023' कानून बन गया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वाले सुझाव की जगह 'केंद्रीय कैबिनेट मंत्री' को रखा गया, जिसे प्रधानमंत्री अपनी पसंद से नामित करेंगे। इस अधनियम के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का पूरा अधिकार सरकार के पास ही चला गया।
सुप्रीम कोर्ट में प्रावधान को दी गई है चुनौती?
सुप्रीम में दाखिल याचिका में कई संवैधानिक प्रावधानों पर सवाल उठाए गए हैं। याचिका में सवाल किया गया है कि क्या संसद के पास यह अधिकार है कि वह संवैधानिक पीठ के किसी फैसले को अध्यदेश या कानून बनाकर बदल सकता है। याचिका में 18 फरवरी को राजीव कुमार के रिटायर होने से पहले ही इस केस पर सुनवाई की मांग की गई थी।
कब होगी कोर्ट में सुनवाई?
इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 19 फरवरी को होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट से याचिकाकर्ता ने कहा था कि नियुक्ति से पहले ही सुनवाई हो जाए। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि अगर नियुक्ति हो भी जाती है तो चयन होने पर भी कोर्ट के आदेश ही प्रभावी होंगे।
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